मुकेश नरवाल की कविताएं

1. नन्ही बिटिया

माँ मैं तेरी छोटी-सी बेटी

तेरी कौख के अन्दर लेटी,

दुनिया ने मुझे नकारा है।

मुझको बस तेरा सहारा है;

 

माँ मैं भी ये दुनिया देखना चाह।

उगली पकड़कर खेलना चाहू

चाहू मिले पापा का प्यार

दादी करें वो लाड़-दुलार

पर मेरी थी किस्मत खोटी

भूल गई थी मैं हूँ बेटी,

माँ तुझे हौसला दिखाना होगा

मरने से मुझे बचाना होगा।

मत चलने दे मुझ पर तलवार

नन्ही बिटिया की यही पुकार

मिले मुझको भी ये आधिकार

पूरी शिक्षा, पूरा प्यार

यहीं संदेश समझाना है

भ्रूण हत्या को बचाना है।

 

2. माँ

प्यारी सी एक सूरत है

वो ममता की मूरत है।

जिससे है जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ

वो है मेरी प्यारी सी माँ

जब भी कोई मुश्किल आए

सबसे पहले उससे वो टकराए

कभी मित्र कभी गुरु बन जाए

हर पल नया वो पाठ पढ़ाए ।।

जिससे जले मेरे जीवन की समां

वो है मेरी प्यारी सी माँ।

उगली पकड़‌कर चलना सिखाया

मुँह का निवाला भी मुझे खिलाया

कभी ना उसने एहसान जताया।।

जाने क्या कुछ खुद ही सहा

जो की है जग की आधारशीला।

वो है मेरी प्यारी सी माँ ।