कांग्रेस ने भागवत की मणिपुर संबंधी टिप्पणी पर प्रधानमंत्री पर कटाक्ष किया

  • जयराम रमेश ने कहा, शायद भागवत ही ”आरएसएस के पूर्व पदाधिकारी” को मणिपुर का दौरा करने के लिए प्रेरित कर सकें
  • नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने मणिपुर की घटना पर जताई थी चिंता

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की मणिपुर में शांति बहाली नहीं होने पर चिंता व्यक्त किए जाने संबंधी टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष किया और कहा कि शायद भागवत ही ”आरएसएस के पूर्व पदाधिकारी” को मणिपुर का दौरा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। अपने भाषण में भागवत ने अतीत को भूल जाने की सलाह दी और सामाजिक समरसता पर जोर दिया।

पिछले साल मई में मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। तब से अब तक करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि बड़े पैमाने पर आगजनी के बाद हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। इस आगजनी में मकान और सरकारी इमारतें जलकर खाक हो गई हैं। पिछले कुछ दिनों में जिरीबाम से ताजा हिंसा की सूचना आयी हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “शायद भागवत पूर्व आरएसएस पदाधिकारी को मणिपुर जाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।”

भागवत ने मणिपुर में एक वर्ष बाद भी शांति स्थापित नहीं होने पर सोमवार को चिंता व्यक्त की और कहा कि संघर्ष प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार किया जाना चाहिए।

नागपुर में रेशमबाग में डॉ. हेडगेवार स्मृति भवन परिसर में संगठन के ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय’ के समापन कार्यक्रम में आरएसएस प्रशिक्षुओं की एक सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि विभिन्न स्थानों और समाज में संघर्ष अच्छा नहीं है।

भागवत ने देश के सभी समुदायों के बीच एकता पर जोर दिया और कहा कि देश में बहुत विविधता है, हालांकि लोग समझते हैं कि यह एक है और अलग नहीं है।

उन्होंने चुनावी बयानबाजी से बाहर आकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया।

भागवत ने कहा था कि मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है। दस साल पहले मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा। चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अशांति या तो भड़की या भड़काई गई, लेकिन मणिपुर जल रहा है और लोग इसकी तपिश का सामना कर रहे हैं।

हाल में हुए लोकसभा चुनावों के बारे में भागवत ने कहा कि नतीजे आ चुके हैं और सरकार बन चुकी है, इसलिए क्या और कैसे हुआ आदि पर अनावश्यक चर्चा से बचा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि आरएसएस ‘‘कैसे हुआ, क्या हुआ’’ जैसी चर्चाओं में शामिल नहीं होता है। उन्होंने कहा कि संगठन केवल मतदान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने का अपना कर्तव्य निभाता है।
भागवत ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि आम जनता के लिए काम किया जा सके। भागवत ने कहा कि चुनाव बहुमत हासिल करने के लिए होते हैं और यह एक प्रतिस्पर्धा है, युद्ध नहीं।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल और नेता एक-दूसरे की बुराई कर रहे हैं, लेकिन वे इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि इससे समुदायों के बीच दरार पैदा हो सकती है। उन्होंने अफसोस जताया कि आरएसएस को भी बिना किसी कारण के इसमें घसीटा जा रहा है।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि चुनाव में हमेशा दो पक्ष होते हैं, लेकिन जीतने के लिए झूठ का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीक (परोक्ष तौर पर डीपफेक आदि की ओर इशारा करते हुए) का उपयोग करके झूठ फैलाया गया।

भागवत ने देश में हो रही ‘रोड रेज’ (सड़क पर होने वाली मारपीट की घटनाओं) की घटनाओं पर भी चिंता जतायी।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय समाज विविधतापूर्ण है, लेकिन सभी जानते हैं कि यह एक समाज है और वे इसकी विविधता को स्वीकार भी करते हैं। सभी को एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए और एक-दूसरे की उपासना पद्धति का सम्मान करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों से जारी अन्याय के कारण लोगों के बीच दूरियां हैं। उन्होंने कहा कि आक्रमणकारी भारत आए और अपने साथ अपनी विचारधारा लेकर आए, जिसका कुछ लोगों ने अनुसरण किया, लेकिन यह अच्छी बात है कि देश की संस्कृति इस विचारधारा से प्रभावित नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि इस्लाम और ईसाई जैसे धर्मों की अच्छाई और मानवता को अपनाया जाना चाहिए और सभी धर्मों के अनुयायियों को एक-दूसरे का भाई-बहन के रूप में सम्मान करना चाहिए।

भागवत ने कहा कि सभी को यह मानकर आगे बढ़ना चाहिए कि यह देश हमारा है और इस भूमि पर जन्म लेने वाले सभी लोग हमारे अपने हैं। आरएसएस प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि कुछ लोगों की यह सोच कि केवल ये विदेशी विचारधाराएं ही सत्य हैं, समाप्त होनी चाहिए।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अतीत को भूल जाना चाहिए और सभी को अपना मानना ​​चाहिए।

भागवत ने कहा कि जातिवाद को पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने आरएसएस पदाधिकारियों से समाज में सामाजिक सद्भाव की दिशा में काम करने को कहा।

आरएसएस प्रमुख ने पारिवारिक मूल्यों, संस्कृति के साथ-साथ जलवायु मुद्दों और पर्यावरण संरक्षण पर भी बात की।