रश्मि त्रिपाठी की कविता – कविता और तुम 

कविता और तुम

रश्मि त्रिपाठी

 

मुझे नहीं पता

कविताएं जाती कहाँ हैं

किनसे मिल पाती हैं

किन तक पहुंच पाती हैं

पर इनका उद्गम वहीं हैं 

जहां तुम समा जाते हो !

तुम्हारा दुख जब 

आ़खों में भर जाता है

नजरें चुराते हुए सोचती हूं

कोई देख न ले ! 

जैसे पता है मुझे

सब पूछेंगे जरूर

पोछेगा कोई नही !

हम दुनियावी बातें करते थे

कभी यूंही मिलने पर…

अब जबकि हम साथ हैं

तब भी दुनियाभर की बातें करते हैं !

मुझे सहानुभूति है खाली लोगों से ..

उनके पास यादें तक नही हैं !

कोई कितना उदास होता है

 जब वह मरने को सोचता है

मेरी उदासी तुमसे मिलकर मायूस हो गई होगी !

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