रामल्ला (पश्चिमी तट)। फलस्तीन के भावी प्रधानमंत्री ने कहा कि वह गाजा के पुनर्निर्माण की देखरेख के लिए प्रौद्योगोकी में निपुण लोगों को सरकार में नियुक्त करेंगे और एक स्वतंत्र न्यास कोष स्थापित करेंगे।
मीडिया रिपोर्टों में एसोसिएटेड प्रेस को मिले एक मिशन वक्तव्य के मुताबिक, मोहम्मद मुस्तफा ने अमेरिका द्वारा बुलाई गई बैठक में संघर्ष के समाधान के तौर पर युद्ध के बाद के फलस्तीनी प्राधिकरण (पीए) के लिए व्यापक योजनाएं पेश कीं।
हालांकि, पीए के पास गाजा में कोई शक्ति नहीं है क्योंकि वहां 2007 से ही हमास सत्ता में है और केवल इजराइल के कब्जे वाले पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों तक उसका अधिकार सीमित है।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में पीए की किसी भी वापसी से इनकार किया है और उनकी सरकार फलस्तीन को देश का दर्जा देने की घोर विरोधी है।
फलस्तीनी के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने पिछले सप्ताह मुस्तफा को प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया था।
अमेरिका में शिक्षित अर्थशास्त्री और लंबे समय तक अब्बास के सलाहकार रहे मुस्तफा एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं जिनका कोई राजनीतिक आधार नहीं है।
मिशन के बयान के मुताबिक, मुस्तफा ने कहा कि वह एक ‘गैर-दलीय, तकनीकी लोकतांत्रिक सरकार नियुक्त करेंगे जो हमारे लोगों का विश्वास और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन दोनों हासिल कर सके।’’
उन्होंने पीए संस्थानों में व्यापक सुधार और भ्रष्टाचार को ‘‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’’ की नीति का वादा किया।उन्होंने कहा कि वह क्षेत्रों को फिर से एकीकृत करने और ‘गाजा के पुनर्निर्माण के लिए एक स्वतंत्र, सक्षम और पारदर्शी एजेंसी और आवश्यक धन जुटाने, प्रबंधन और वितरण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रबंधित एक न्यास कोष’ बनाने की कोशिश करेंगे।
दृष्टिकोण बयान में हमास का कोई उल्लेख नहीं किया गया, जिसने पिछली बार 2006 में फलस्तीनियों के राष्ट्रीय चुनावों में भारी जीत हासिल की थी।
सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि उसे अभी भी अहम समर्थन प्राप्त है।पीए पर समग्र नियंत्रण रखने वाले अब्बास (88 वर्षीय) 2009 में जनादेश का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से सत्ता में बने हुए हैं और उन्होंने इजराइली प्रतिबंधों का हवाला देते हुए चुनाव कराने से इनकार कर दिया है।
सर्वेक्षणों के मुताबिक, फलस्तीनियों का एक बड़ा धड़ा चाहता है कि वह इस्तीफा दे दें।
मुस्तफा ने कहा कि पीए का लक्ष्य राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव कराना है, लेकिन उन्होंने कोई समय सीमा नहीं दी। भावी प्रधानमंत्री ने कहा कि यह गाजा, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में ‘जमीनी वास्तविकताओं’ पर निर्भर करेगा, जिन क्षेत्रों पर इज़राइल ने 1967 के पश्चिम एशिया युद्ध के बाद कब्जा कर लिया था।