किताब
मुनेश त्यागी
किताब …
सिखाती है हमें ज्ञान और विज्ञान,
समझाती है हमें कारण, अपनी बदहाली का,
सिखाती हैं बनाना हमें संगठन
हम सबकी मुक्ति का।
किताब…
देती है गुर, नर-नारी समानता का,
पढ़ने लिखने की संस्कृति का,
लघु परिवार की जरूरत का,
बेहतर समाज बनाने का।
किताब…
देती है मंत्र हमें
विकास में हिस्सेदारी का,
समाज के प्रति दायित्व का,
भाग्यवाद से छुटकारा पाने का।
किताब…
देती है हौंसला हमें,
चार दिवारी से बाहर आने का,
जगाती है इच्छा लोगों में
पढ़ने की और सीखने की।
किताब…
तोड़ती है शिकंजा
पोंगा पंडितों का, जादू टोनों का,
करती है मोह भंग
तांत्रिक विज्ञान का, भूत और प्रेत का।
किताब…
बदलती है सलीका
प्यार से रहने का और सहने का,
तोड़ती है शिकंजा
कुरीतियों का, अज्ञान का, अंधविश्वासों का।
किताब…
करती हैं भंडाफोड़
शोषण का, लूट का, हड़पने का,
देती है मंत्र दुनिया को
संगठित होने का, नव जन सृजन का।
किताब…
देती है लड़ने का
लूट के किले गिरने का,
दिखाती है मार्ग हमें
मुक्ति का, बदलाव का।
किताब…
सिखाती है सलिका हमें
बेहतर इंसान बनने का,
देती है स्वर हमें आपसी भाईचारे का
संघर्ष का, विद्रोह का, इंकलाब का।
किताब…
एक दिन मैंने सुना
किताब कह रही थी,
वह घर अच्छा नहीं होता,
जिसमें अच्छी किताबें नही होतीं
और अच्छी किताबें पढ़ी नहीं जातीं।