- खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड्स कर्तव्य पथ पर रख कर लौट गईं
- बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई न होने से रेसलर का गुस्सा बरकरार
नई दिल्ली। खेल मंत्रालय द्वारा नवनिर्वाचित राष्ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह और पूरे संघ को निलंबित कर देने और भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में एडहाक कमेटी बना देने के बावजूद रेसलर का गुस्सा कम नहीं हुआ है। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई न होने से रेसलरों का गुस्सा बरकरार है। साक्षी मलिक के कुश्ती से संन्यास लेने, बजरंग पूनिया के पद्म श्री वापस करने के बाद अब विनेश फौगाट ने खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड वापस लौटा दिया है।
शनिवार को विनेश अवार्ड लौटाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आफिस जा रही थीं तो रास्ते में ही पुलिस ने उन्हें रोक लिया । इसके पश्चात विनेश ने विनेश ने कर्तव्य पथ पर जमीन पर ही अवार्ड को रख दिए और उन्हें (आवार्ड्स को) प्रणाम करक लौट गईं।
हरियाणा के भिवानी की रहने वाली विनेश ने एशियन गेम्स और कामनवेल्थ गेम में रेसलिंग में स्वर्ण पदक जीता था। आगामी ओलंपिक में भी वह पदक की सशक्त दावेदार मानी जा रही थीं। भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला रेसलरों के साथ यौन शोषण का आरोप लगाकर उसके खिलाफ केस दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग को लेकर वह जंतर-मंतर साक्षी मलिक और बंजरंग पूनिया के साथ 50 दिन से ऊपर धरने पर बैठी थीं। वहां से धरना उठाने के लिए पुलिस ने उनके साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया था।
इसके पश्चात तीनों पहलवान हरिद्वार में गंगा में अपना मेडल विसर्जित करन गई थीं लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत के हस्तक्षेप और आश्वासन पर वे वापस लौट आई थीं। बाद में खेल मंत्रालय के दखल के बाद बृजभूषण के खिलाफ केस तो दर्ज कर लिया गया लेकिन उसे जमानत मिल गई और उस मामले में कुछ नहीं हुआ। इन रेसलरों का कहना था कि खेल मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि बृजभूषण या उसके गुट का कोई व्यक्ति भारतीय कुश्ती संघ का पदाधिकारी नहीं बनेगा। साथ ही किसी महिला को कुश्ती संघ की कमान दी जाएगी।
लेकिन जब बृजभूषण का करीबी संजय सिंह इंडियन रेसलिंग एसोसिएशन का अध्यक्ष बना और उसके गुट के लोग संगठन के चुनाव में जीत गए तो साक्षी, विनेश और बजरंग ने प्रेस कांफ्रेंस की और साक्षी ने विरोध में कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। इसके बाद बजरंग पूनिया पद्म श्री अवार्ड लौटा चुके हैं।
विनेश ने तीन दिन पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महिला पहलवानों को इँसाफ न मिलने की बात कहते हुए अवार्ड्स लौटाने की घोषणा की थी।
इसके बाद आज शनिवार 30 दिसंबर को वह अपने अवार्ड्स लौटाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आफिस जा रही थीं। लेकिन जब पुलिस ने उन्हें रोका तो उन्होंने कर्तव्य पथ पर जमीन पर खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड्स रख दिए और हाथ जोड़कर वापस लौट गईं। शनिवार को अवॉर्ड लौटाने पर विनेश का कहना था कि – ”मैं इंसाफ के लिए यहां पहुंची हूं। जब तक इंसाफ नहीं मिलता, ये लड़ाई जारी रहेगी।”
प्रधानमंत्री को लिखा विनेश का पत्र
प्रधानमंत्री जी, साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है। देश के लिए ओलिंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिए मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं तो आप तक भी यह मामला पहुंचा होगा। प्रधानमंत्री जी, मैं आपके घर की बेटी विनेश फोगाट हूं और पिछले एक साल से जिस हाल में हूं, यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूं।
क्या महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं।
मुझे साल याद है 2016 जब साक्षी मलिक ओलिंपिक में पदक जीतकर आई थीं तो आपकी सरकार ने उन्हें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था। जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं। आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी, तबसे मुझे वह साल 2016 बार बार याद आ रहा है। क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं।
हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है। मैंने ओलिंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूंगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना जरूर पूरा हो।
हमारी जिंदगी उन फैंसी विज्ञापनों जैसी बिलकुल नहीं है। कुश्ती की महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में जो कुछ भोगा है, उससे समझ आता ही होगा कि हम कितना घुट-घुट कर जी रही हैं। आपके वो फैंसी विज्ञापनों के फ्लेक्स बोर्ड भी पुराने पड़ चुके होंगे और अब साक्षी ने भी संन्यास ले लिया है। जो शोषणकर्ता है, उसने भी अपना दबदबा रहने की मुनादी कर दी है, बल्कि बहुत भौंडे तरीके से नारे भी लगवाए हैं।
मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड दिया गया था जिनका अब मेरी जिंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है। हर महिला सम्मान से ज़िंदगी जीना चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड आपको वापस करना चाहती हूँ ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें।
सर, जब मैं आपसे मिली तो यह सब आपको भी बताया था। हम न्याय के लिए पिछले एक साल से सड़कों पर घिसड़ रहे हैं। कोई हमारी सुध नहीं ले रहा। सर, हमारे मेडलों और अवॉर्डों को 15 रुपए का बताया जा रहा है, लेकिन ये मेडल हमें हमारी जान से भी प्यारे हैं। जब हम देश के लिए मेडल जीतीं थीं तो सारे देश ने हमें अपना गौरव बताया।
बजरंग पूनिया ने विनेश के अवॉर्ड वापसी का वीडियो शेयर किया और कहा- “यह दिन किसी खिलाड़ी के जीवन में न आए। देश की महिला पहलवान सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं।”