हम लड़ेंगे जैसे लड़े थे आजाद भगत सिंह और सुभाष 

हम लड़ेंगे जैसे लड़े थे आजाद भगत सिंह और सुभाष

मुनेश त्यागी

हम लड़े हैं…

खेतों में

सड़कों में

गलियों में

खलिहानों में

कारखानों में

और ज़हनों में।

 

हम लड़े हैं…

तीरों से

बमों से

टैंकों से

तोपों से

बंदूकों से

संगीनों से

संगीनों से

तलवारों से

मिसाइलों से।

 

हमारे हथियार थे…

बहस

मनन

कलम

विचार

भाषण

किताबें

अध्ययन और

संगठित संघर्ष।

 

हम लड़े थे…

फांसी के फंदे से

फांसी के तख्ते से

जेल की दीवार से

अकेले अकेले नहीं

मिलजुलकर लड़े थे।

 

हमारे नारे थे…

जय हिन्द

इंकलाब जिंदाबाद

मजदूरों को दाम दो

बेरोजगारों को काम दो

सबको शिक्षा सबको काम दो

मजदूरों को न्यूनतम वेतन दो

किसानों को फसलों का दाम दो

दुनिया भर के मेहनतकशों एक हो

किसानों मजदूरों की सरकार जिंदाबाद।

 

हम बनायेंगे एक समाज…

जिसमें नहीं होगी…

हिंसा

नफरत

अशिक्षा

अज्ञानता

अंधविश्वास

गैरबराबरी

मुनाफाखोरी

और भ्रष्टाचार।

 

हम बनायेंगे एक ऐसा समाज…

जिसमें होगी…

समता

समानता

समाजवाद

धर्मनिरपेक्षता

सामाजिक न्याय

आपसी भाईचारा

सबका विकास और

सर्वजन का कल्याण।

 

हम लड़ेंगे…

जैसे मार्क्स और एंगेल्स लड़े थे

जैसे 1857 में भारत की जनता लड़ी थी

जैसे जफर नाना अजीमुल्ला तातिया लड़े थे

जैसे लक्ष्मी बाई और झलकारी बाई लड़ी थी

जैसे बेगम हजरत महल दुर्गा भाभी लडी थीं

जैसे बिस्मिल, रोशन अशफाक लहरी लड़े थे

जैसे आजाद, भगत सिंह और सुभाष लड़े थे।