बिहार विधानसभा चुनाव
भाकपा (माले) उम्मीदवार कयामुद्दीन के पास सिर्फ 37 हजार रुपये की संपत्ति, ‘पैसे की ताकत’ को दे रहे हैं चुनौती
आरा। बिहार के आरा विधानसभा क्षेत्र में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के उम्मीदवार कयामुद्दीन अंसारी सिर्फ 37,000 रुपये की संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन वह इस बात को लेकर आश्ववस्त हैं कि जनता का उन्हें पूरा समर्थन मिलेगा और वह ‘पैसे की ताकत’ को पराजित कर देंगे।

आरा विधानसभा सीट फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास है। भाजपा ने इस बार संजय सिंह ‘टाइगर’ पर भरोसा जताया है। पिछली बार यहां से भाजपा के टिकट पर अमरेंद्र प्रताप सिंह विधानसभा पहुंचे थे।
पसमांदा मुस्लिम समुदाय से आने वाले 50 वर्षीय अंसारी को 2020 के विधानसभा चुनाव में अमरेंद्र प्रताप सिंह से करीब 3,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
अंसारी कहते हैं कि वह लोगों से थोड़ा-थोड़ा चंदा लेकर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन “पैसे की ताकत” को वह जनता की ताकत की बदौलत हरा देंगे।
उन्होंने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “दूसरी पार्टियों में उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए पैसे देने पड़ते हैं, लेकिन यहां लोग मेरे चुनाव अभियान को खुद सहारा दे रहे हैं।”
अंसारी ने कहा, “मैं गरीब और पिछड़े परिवार से आता हूं। पिता के नाम पर जमीन नहीं थी। अब मैं पार्टी का पूर्णकालिक कार्यकर्ता हूं और मेरी पत्नी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। जीवन कठिन है, लेकिन गरीबों के लिए लड़ना कभी नहीं छोड़ा।”
उन्होंने कहा, “हमारे विरोधी अमीर हैं। हमारे खिलाफ जो पार्टी लड़ रही है, वह वोट चुराती है। एक तरफ पैसे की ताकत है, दूसरी तरफ वे लोग हैं जो 10-20 रुपये का योगदान करते हैं। मैं उसी पैसे से चुनाव लड़ रहा हूं। लोग तय कर चुके हैं कि इस बार पैसे वालों को हराएंगे।”
अंसारी का कहना है कि गांव-गांव में सभा करने के दौरान लोग उन्हें चंदा देते हैं, भोजन कराते हैं और प्रचार में भी साथ आते हैं।
यह अंसारी का आरा से तीसरा चुनाव है। 2015 में उन्हें करीब 5,000 वोट मिले थे और 2020 में वह जीत के करीब पहुंच गए थे।
उन्होंने कहा, “आरा के लोग मुझे हारा हुआ उम्मीदवार नहीं, बल्कि जीतता हुआ उम्मीदवार समझते हैं। इस बार लोगों ने तय कर लिया है कि वोट चोरों, नौकरी चोरों, खजाना चोरों, जमीन चोरों को सबक सिखाएंगे।”
उनके खिलाफ नौ आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें हत्या के प्रयास और दंगा भड़काने जैसे आरोप शामिल हैं। वह कहते हैं कि ये सभी मामले “जन आंदोलन” से जुड़े हैं क्योंकि वे लगातार विभिन्न अधिकार आंदोलनों में शामिल रहे हैं।
शाहाबाद क्षेत्र में भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर शामिल हैं। यहां कुल 22 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें पिछली बार राजग को सिर्फ दो- आरा और बड़हरा सीटों पर जीत मिली थी। ये दोनों भाजपा के खाते में गई थीं।
अंसारी का कहना है कि शिक्षा और रोजगार इस चुनाव के सबसे अहम मुद्दे हैं, जिन्हें मौजूदा सरकार ने नजरअंदाज कर दिया है।
उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार को सत्ता में आए 20 साल हो गए। जो बच्चा तब पैदा हुआ, आज युवा है और नौकरी की तलाश में है। रोजगार देने में यह सरकार नाकाम रही है।”
अंसारी के अनुसार, जनता ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ खड़ी है और वह सरकार बनाएगा।
उन्होंने कहा, “2020 में हमने 10 लाख नौकरियों का वादा किया था, तब नीतीश जी ने मजाक उड़ाया। बाद में जनता का आक्रोश देखकर 19 लाख नौकरियों का वादा किया। हम 17 महीनों तक सत्ता में रहे और पांच लाख युवाओं को रोजगार दिया।”
मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “नीतीश जी बुलडोजर पर चढ़कर फिर भाजपा के पास लौट गए, और तब से पेपर लीक और बेरोजगारी बढ़ी है। इसलिए युवा हमारे साथ हैं।”
