बोलने लिखने की आजादी पर हमले बंद करो
जनवादी लेखक संघ मेरठ ने जिलाधिकारी के जरिए राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
आज जनवादी लेखक संघ मेरठ इकाई ने बोलने की आजादी और सवाल उठाने की आजादी पर सरकार द्वारा हमले करने की मुहिम के खिलाफ भारत की राष्ट्रपति को जिलाधिकारी मेरठ के माध्यम से ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में कहां गया है कि कुछ दिन पहले गायिका और कवित्री नेहा सिंह राठौड़, डॉक्टर माद्री काकोटी, प्रोफेसर लखनऊ विश्वविद्यालय के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है और यूट्यूब 4 पीएम पर रोक लगा दी गई है तथा इन पर राजद्रोह के आरोप लगाए गए हैं। पहलगाम की आतंकवादी घटना को सर्व दलीय बैठक में सरकार ने सुरक्षा बलों की चूक मानी है।
जब सरकार खुद ही अपनी भूल चूक स्वीकार कर रही है तो फिर उपरोक्त सवाल उठाने वालों के खिलाफ मनमानी कार्रवाई क्यों की जा रही है। भारतीय संविधान लिखने, बोलने और सवाल करने की आजादी देता है तो फिर बोलने के बुनियादी अधिकार पर मनमाना और डराने वाला हमला क्यों किया जा रहा है? सवाल उठाने वालों से कारण पूछे जाने चाहिए थे। सीधे-सीधे एफआईआर करना और बोलने पर रोक लगाना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और बोलने लिखने और सवाल उठाने की बुनियादी अधिकारों पर मनमाना और एक तरफा हमला है। हम इस हमले का विरोध करते हैं।
ज्ञापन में कहा गया है कि भूल चूक और कमियों पर सवाल उठाना और जरूरी आलोचना करना सरकार या विभागीय एवं व्यवस्था को दुरुस्त करता है और भविष्य में उन्हें गलतियां करने से बचाता है। सैकड़ो साल पहले महा कवि कबीर दास ने भी “निंदक नियरे राखिए” की बात की थी। जनवादी लेखक संघ मेरठ मांग करता है कि,,,,
1. नेहा सिंह राठौड़ और माद्री काकोटी के खिलाफ की गई एफआईआर को रद्द किया जाए,
2. 4:00 पीएम यूट्यूबर से रोक हटाई जाए, 3.अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की जाए,
4. भारतीय संविधान द्वारा दिए गए लिखने बोलने और सवाल उठाने की आजादी की रक्षा की जाए,
5. लेखकों, कवियों, युटयुबर्स को डराने-धमकाने की मनमानी कार्यवाहियों को तुरंत बंद किया जाए।
ज्ञापन देने वालों में मुनेश त्यागी जिला सचिव, मंगल सिंह मंगल संयुक्त सचिव, धर्मपाल मित्र और जी पी सलोनिया शामिल थे।