- राजग के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने किया बहिर्गमन
पटना। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नवगठित राजग सरकार ने सोमवार को विधानसभा में ‘‘महागठबंधन’’ के सदस्यों के बहिर्गमन के बीच विश्वास मत हासिल कर लिया।बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नवगठित राजग सरकार ने सोमवार को विधानसभा में ‘‘महागठबंधन’’ के सदस्यों के बहिर्गमन के बीच विश्वास मत हासिल कर लिया।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कुल 129 वोट पड़े जबकि विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। मत विभाजन के समय आसन पर उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी थे।
कुल मिलाकर 129 विधायकों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुझाव दिया कि सदन उपाध्यक्ष का वोट भी गिना जाना चाहिये, क्योंकि वह सत्तारूढ़ दल जदयू से हैं।
आम तौर पर जब तक कोई बराबरी न हो, आसन पर बैठा व्यक्ति मतदान में भाग नहीं लेता है।हजारी ने संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुरोध पर ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित होने की घोषणा के बाद सदस्यों की गिनती का आदेश दिया।
राजग की 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 128 सदस्य थे, जिसमें जदयू, भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
हालांकि राजद के तीन विधायकों, प्रह्लाद यादव, चेतन आनंद और नीलम देवी के सत्ता पक्ष में चले जाने से पार्टी को झटका लगा।लगभग 17 महीने के अंतराल के बाद पार्टी की सत्ता में वापसी से उत्साहित भाजपा विधायकों ने ‘‘जय श्री राम’’ के नारे लगाए।
इससे पहले विश्वास मत पर चर्चा के दौरान लगभग 30 मिनट के संबोधन में नीतीश अपने पूर्व सहयोगी राजद और कांग्रेस के साथ-साथ विपक्षी इंडिया गठबंधन के खिलाफ भड़ास निकाली, जिसके बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
चर्चा में भाग लेते हुए जदयू अध्यक्ष ने राजद नेता और पिछली महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके तेजस्वी यादव की ओर इशारा करते हुए, गुस्से में कहा, ‘‘जब उनके पिता (लालू प्रसाद) की राज्य में सरकार थी तब बिहार की क्या स्थिति थी, सड़कें नहीं थीं, लोग सूर्यास्त के बाद अंधेरे में निकलने से डरते थे। 2005 में सत्ता में आने पर हमने इसे ठीक किया।’’
विश्वास मत पर चर्चा के दौरान यादव ने नीतीश पर तंज कसते हुए कहा था कि इस बात की क्या गारंटी है कि कुमार फिर से पलटी नहीं मारेंगे ।
कुमार ने जोर देकर कहा कि वह हमेशा के लिए अपने पुराने सहयोगियों के साथ आ गए हैं और अफसोस जताया कि उनका भाजपा विरोधी पार्टियों को एक साथ लाने की कोशिश बेकार साबित हुई।विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के संयोजक अथवा प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में शुमार नीतीश ने आरोप लगाया, ‘‘मैंने कांग्रेस को चेतावनी दी थी कि चीजें (‘इंडिया’ गठबंधन में) ठीक नहीं चल रही हैं।
कुछ लोगों को मेरे पहल करने पर दिक्कत हो रही थी। ऐसा लगता है कि उनके (यादव के) पिता भी मेरे विरोधियों में शामिल हो गए थे।’’
कुमार ने इस दावे के लिए भी यादव की कड़ी आलोचना की कि रोजगार सृजन के प्रति राजद की प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप राज्य में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती हुई है ।उन्होंने यादव से कहा कि आपकी पार्टी (राजद) जब भी सत्ता में रही है आर्थिक गड़बड़ियों में शामिल रही है और जब शिक्षा विभाग मेरी पार्टी के पास था तब सारे अच्छे काम होते थे।
थोड़े समय के लिए यह कांग्रेस के पास था, लेकिन आप लोगों ने तब भी समस्याएं पैदा की थीं।कुमार का इशारा राज्य कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी की ओर था, जिनके पास शिक्षा विभाग था ।
कुमार ने जब पहली बार 2015 और 2017 के बीच महागठबंधन की पहली बार सरकार बनाई थी तब चौधरी शिक्षा मंत्री थे। चौधरी बाद में जदयू में चले गए और वर्तमान में प्रभावशाली मंत्री हैं।
कुमार ने दावा किया कि राजद के कार्यकाल में बिहार में अनेक सांप्रदायिक दंगे हुए।उन्होंने कहा-कोई कानून व्यवस्था नहीं थी। राजद अपने शासनकाल में (2005 से पहले) भ्रष्टाचार में लिप्त थी। मैं इसकी जांच कराऊंगा।
जदयू प्रमुख ने मुसलमानों के हितों की वकालत करने के राजद के दावे पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि उनके शासनकाल में ही राज्य में अतीत की तरह कोई बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ ।
उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद के सत्ता में आने से पहले 1989 के सांप्रदायिक दंगा के दोषियों को राजग के सत्ता में आने के बाद सजा दिलवायी गयी थी।इससे पहले विधानसभा में कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा लाए गए विश्वासमत प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि वह कुमार को हमेशा पिता तुल्य मानते थे और उन्हें नहीं पता कि किस वजह से वह महागठबंधन छोड़कर भाजपा नीत राजग में लौटने के लिए मजबूर हुए।उन्होंने रिकॉर्ड नौवीं बार और पांच साल के कार्यकाल के भीतर तीसरी बार शपथ लेने को लेकर भी कुमार पर तंज कसा और कहा कि ऐसा उदाहरण पहले कभी नहीं देखा गया।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा- मैंने नीतीश कुमार को हमेशा दशरथ (भगवान राम के पिता) की तरह माना। मुझे नहीं पता कि किस वजह से वह महागठबंधन को धोखा देने के लिये मजबूर हुए।इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के पद से इस्तीफा देने से इनकार के बाद उनके खिलाफ राजग सदस्यों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यादव ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया जब उन्होंने अपनी पार्टी के तीन विधायकों को सत्ता पक्ष की बेंच पर बैठे देखा।
राजग के साथ तीनों सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया जिसका 125 विधायकों ने समर्थन किया और 112 ने विरोध किया था।राजग सूत्रों के मुताबिक प्रस्ताव रखे जाने के समय जदयू-भाजपा गठबंधन के कुछ विधायक सदन में नहीं पहुंचे थे। हालांकि वे विश्वास मत के दौरान मौजूद थे।बिहार विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करने वालों में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के एकमात्र विधायक अख्तरुल ईमान भी शामिल हैं जो महागठबंधन का हिस्सा नहीं है।
नए अध्यक्ष का चुनाव अब मंगलवार को होने की संभावना है क्योंकि विश्वास मत के बाद सदन के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश किए जाने के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।