कविता दिवस पर जितेंद्र धीर की कविता

 

कविता

जितेंद्र धीर 

एक युद्ध है 

उन सबके विरुद्ध 

जो बांध लेना चाहते हैं 

सारी दुनिया  

अपनी मुट्ठियों में 

पसर जाना चाहते हैं 

पाला बन कर 

हमारी अंखुवाती सोच पर 

कविता

एक कोशिश है 

आदमी को 

आदमी से 

जोड़ने की 

उमड़ती जलधार सी 

निर्झर है कविता 

बूंद से सागर तक 

इक यात्रा है 

कविता