बैंक अफसरों का दावा, रेपो दर में कमी से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी, छोटे उद्यमों को मिलेगा बढ़ावा

नयी दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रेपो दर में कटौती और मौद्रिक नीति के रुख को ‘उदार’ करने का निर्णय व्यापार युद्ध के बीच अर्थव्यवस्था को गति देने की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे अन्य क्षेत्रों के अलावा सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमों के लिए उधार लेने की लागत कम होने की उम्मीद है। बैंक अधिकारियों ने बुधवार को यह कहा।

इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी अजय श्रीवास्तव

ने कहा कि रेपा दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती का निर्णय व्यापार युद्ध के बढ़ते तनाव के बीच अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की दिशा में एक सक्रिय कदम है। इस साल नीतिगत दर में लगातार दूसरी कटौती प्रमुख क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बैंकिंग क्षेत्र के हित को केंद्र में रखने का प्रमाण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए इस कटौती से कर्ज की लागत कम होने की संभावना है, जिससे इस क्षेत्र की वृद्धि और नवोन्मेष करने की क्षमता बढ़ेगी।’’

सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी एस शेट्टी

ने कहा कि आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती और रुख में संशोधन कर इसे ‘उदार’ बनाना एक त्वरित एवं समय पर उठाया गया कदम है तथा यह बाजार के लिए एक भविष्य का संकेत है, जिससे वह उभरती वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति सहायक बना रहेगा।

उन्होंने कहा, “विनियमन के मामले में, संकटग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए बाजार आधारित प्रतिभूतिकरण ढांचा, स्वर्ण ऋण और गैर-निधि आधारित सुविधाओं पर नीति की समीक्षा समय पर की गई है। सह-ऋण ढांचे को व्यापक बनाने से सभी संबंधित पक्षों को अधिक विकल्प मिलेंगे।”

इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी बिनोद कुमार

ने कहा, ‘‘आरबीआई के इस कदम से एमएसएमई और खुदरा मांग दोनों को समर्थन मिलने की उम्मीद है। एमएसएमई क्षेत्र का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 30 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। इस कदम से फायदा होगा क्योंकि इससे ऋण लागत कम होगी और नकदी प्रवाह में सुधार होगा, जो उभरते बाजार की गतिशीलता में सुधार और विकास के लिए महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हम ऋण की बेहतर मांग की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि एमएसएमई हमारे ऋण खंड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है…इस कटौती से खासकर मझोले और छोटे शहरों (टियर दो और टियर तीन) में घर, वाहन और व्यक्तिगत ऋणों की मांग में तेजी आने की संभावना है।’’

कुमार ने यह भी कहा कि इंडियन बैंक अपने ग्राहकों को तेजी से लाभ पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिससे समावेशी ऋण वृद्धि सुनिश्चित हो सके।

अप्रैल की ऋण नीति पर टिप्पणी करते हुए वित्तीय सेवा एवं परामर्श कंपनी ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि आरबीआई की एमपीसी बैठक के निर्णय यह सुनिश्चित करते हुए भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि संभावनाओं की रक्षा करने की उसकी इच्छा का संकेत देते हैं, कि चल रहे वैश्विक शुल्क उथल-पुथल के बावजूद यह 6.5 प्रतिशत से नीचे न गिरे।

एसबीएम बैंक इंडिया के ट्रेजरी प्रमुख मंदार पिताले

ने कहा कि आरबीआई का रेपो दर में कटौती का कदम समय के अनुरूप है। इससे उपभोग व निवेश आधारित वृद्धि दोनों को समर्थन मिलेगा।

उन्होंने कहा कि साथ ही मौद्रिक नीति रुख को ‘उदार’ किया गया है। इससे आने वाले समय में ब्याज दर में और नरमी आने की उम्मीद है। यह अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने की दिशा में उठाया गया कदम है।

रेपो दर घटाने का निर्णय आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए रणनीतिक कदम: विशेषज्ञ

इस बीच विशेषज्ञों ने कहा कि लगातार दूसरी बार रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाने और ‘उदार’ रुख अपनाने के निर्णय वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच देश की आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए रणनीतिक कदम है।

एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) त्रिभुवन अधिकारी

ने कहा, “वैश्विक व्यापार तनाव और शुल्क अनिश्चितताओं के बीच आरबीआई द्वारा लगातार दूसरी बार नीतिगत दर में कटौती का फैसला अर्थव्यवस्था के लिए एक स्वागत योग्य कदम है।”

उन्होंने कहा, “सतर्क राजकोषीय प्रबंधन ने भारत को वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने में मदद की है। आज की 0.25 प्रतिशत की कटौती उम्मीद के अनुरूप है। यह कदम उपभोक्ता धारणाओं को मजबूत करेगा और विशेष रूप से मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में आवास की मांग को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा, किफायती आवास क्षेत्र को और बढ़ावा देगा और ‘सभी के लिए आवास’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।”

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर

ने कहा, “हाल में मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए, रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती अपेक्षित थी। बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति और जीडीपी वृद्धि, दोनों के लिए एमपीसी के चालू वित्त वर्ष (2025-26) के पूर्वानुमानों में 0.20 प्रतिशत की कमी और रुख को ‘उदार’ करने के साथ हम अगली तीन नीति समीक्षाओं में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की और कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।”

आनंद राठी ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने    कहा कि आरबीआई ने नीतिगत रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती और मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ कर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने का साफ संकेत दिया है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार युद्ध को लेकर भारत की वृद्धि और मुद्रास्फीति पर प्रभाव का आकलन करना अभी मुश्किल है, लेकिन केंद्रीय बैंक ने उन्हें स्पष्ट रूप से जोखिम के रूप में चिह्नित किया है। हालांकि, उपभोग और निवेश मांग दोनों में सुधार के शुरुआती संकेत दिखाई दे रहे हैं और वित्तीय स्थितियां लगातार अनुकूल हो रही हैं।

हाजरा ने कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए हमारा अनुमान है कि आरबीआई इस साल नीतिगत दर में 0.25 से 0.50 प्रतिशत की और कटौती कर सकता है।

श्रीराम जनरल इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक और मुख्य निवेश अधिकारी अश्विनी धनावत

ने कहा, “रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत करने तथा ‘उदार’ रुख अपनाने का निर्णय, बढ़ते वैश्विक शुल्क युद्ध के बीच आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए एक रणनीतिक कदम है…।’’

उन्होंने कहा, “चालू वित्त वर्ष (2025-26) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि 6.5 प्रतिशत और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगा गया है। आरबीआई को उम्मीद है कि जिंसों की कीमतों में नरमी से संभावित रूप से एक संतुलन बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि, लगातार बाहरी दबाव इन अनुमानों को चुनौती दे सकते हैं, जिससे मुद्रास्फीति के जोखिमों को कम करने के लिए सतर्क निगरानी की आवश्यकता होगी…।’’

पैसा बाजार की सीईओ संतोष अग्रवाल ने कहा कि रेपो दर में कटौती उम्मीद के अनुरूप है। मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ से उदार करने का निर्णय, मौजूदा और संभावित उधारकर्ताओं, दोनों के लिए अधिक अनुकूल मौद्रिक नीति रुख की शुरुआत का संकेत है।”