फोटो परिचय : कामरेड विमल वर्मा अपने पुत्र आलोक वर्मा, बहू शक्ति वर्मा और पौत्र सम्यक वर्मा के साथ गणतंत्र दिवस के मौके पर चंडीगढ़ प्रेस क्लब में। साथ में चंडीगढ़ प्रेस क्लब के पूूर्व अध्यक्ष जगतार सिंह सिद्धू, बलविंदर जम्मू, डा जोगिंद्र सिंह, राज ऋषि, राजेश्वर गुप्ता आदि।
पंजाबी के वरिष्ठ पत्रकार जगतार सिंह सिद्धू ने अपने फेसबुक वाल पर एक पोस्ट डाली है। यह पोस्ट पंजाबी में है और हिंदी के वरिष्ठ मार्क्सवादी आलोचक विमल वर्मा पर है जो इस गणतंत्र दिवस पर चंडीगढ़ प्रेस क्लब के समारोह में सपरिवार पहुंचे थे। आभार सहित इसे हम प्रतिबिम्ब मीडिया में भी प्रकाशित कर रहे हैं।
जगतार सिंह सिद्धू
चंडीगढ़ प्रेस क्लब परिसर में इस बार जब गणतंत्र दिवस समारोह मनाया गया, यह अवसर उस समय यादगारी बन गया, जब हमने देखा कि एक बुजुर्ग व्हीलचेयर पर अपने परिवार के साथ क्लब के अंदर प्रवेश कर रहे हैं। स्वाभाविक तौर पर मेरी इच्छा उनके बारे में जानने की हुई । दैनिक ट्रिब्यून के वरिष्ठ पत्रकार साथी डॉक्टर जोगिंद्र सिंह ने बताया की ये पश्चिम बंगाल के 95 साल के बुजुर्ग दया शंकर अस्थाना हैं जिन्हें देश भर में लोग विमल वर्मा के नाम से जानते हैं। विमल वर्मा पत्रकार और मार्क्सवादी आलोचक हैं। कलकत्ता में इन्होंने अध्यापक के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है।
श्री विमल वर्मा सीपीएम पश्चिम बंगाल के हिंदी अखबार ‘स्वाधीनता’ के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं। ‘स्वाधीनता’ के संपादक मंडल के सदस्य थे। उन्होंने ‘सामयिक’, ‘सामयिक परिदृश्य’ और ‘चंद्रयान’ समेत कई साहित्यिक पत्रिकाओं का समय समय पर संपादन- प्रकाशन किया। जिनके अंकों की देश भर में चर्चा रहती थी। यह लघु पत्रिका (LITTLE MAGAZINE) आंदोलन का दौर था। मीडिया पर सरकारों की सख्ती का उन्होंने डटकर विरोध किया। आपातकाल के समय उन्हें अंडरग्राउंड भी रहना पड़ा। सच बोलने और सच लिखने वालों को हर दौर में इसका मूल्य चुकाना ही होता है। विमल वर्मा जनवादी लेखक संघ के संस्थापक सदस्यों में थे । पश्चिम बंगाल की हिंदी अकादमी की पत्रिका ‘धूमकेतु’ के कई साल संपादक रहे। आलोचक के तौर पर उनकी ख्याति संपूर्ण भारत में रही। पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है ।
हमारे लिए इससे से बड़ी सम्मान की बात क्या हो सकती है कि कलकत्ता जैसे शहर के प्रगतिशील साहित्यकार-पत्रकार विमल वर्मा गणतंत्र दिवस के मौके पर चंडीगढ़ प्रेस क्लब के कार्यक्रम में शामिल हुए । देश की आजादी से लेकर आज तक पंजाब और बंगाल के अनेक प्रकार के आंदोलनों में बहुत नजदीकी संबंध रहे हैं।
आम पंजाबी देश के बहुत सारे राज्यों के कई बड़े शहरों के नाम नहीं जानते लेकिन कलकत्ता तो पंजाबियों को अपना ही शहर लगता है और उस शहर के 95 साल के दृढ़ इरादा रखने वाले, समाज के परिवर्तन के लिए पत्रकारिता करने वाले वरिष्ठ पत्रकार विमल वर्मा ने देश के खूबसूरत चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आकर देश के एक कोने से दूसरे कोने तक मीडिया को फिर से जोड़ने का काम किया है ।
जब मुझे पता चला कि विमल वर्मा चंडीगढ़ के सीनियर पत्रकार आलोक वर्मा के पिताजी है तो मैंने अपने पत्रकार मित्र को गले से लगा लिया। हम सबको आम आदमी के लिये संघर्ष करने वाली पत्रकारिता की प्रतिबद्धता का एहसास हुआ ।
चंडीगढ प्रेस क्लब का गणतंत्र दिवस समारोह एक ऐसे सोपान पर जाकर संपन्न हुआ कि एक कलम के सिपाही ने यहां आकर यह बात स्थापित कर दी कि मीडिया के हित के लिए सिर ऊंचा करके चलने वालों के रास्ते में उम्र कोई बाधा नहीं बन सकती।
लेखक परिचयः
जगतार सिंह सिद्धू पंजाबी ट्रिब्यून के सहायक संपादक, ट्रिब्यून एंप्लाइज यूनियन के एक दशक से भी ज्यादा समय तक अध्यक्ष, चंडीगढ़ प्रेस क्लब के कई बार अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में ग्लोबल पंजाब टीवी के संपादक हैं।