जनवादी लेखक संघ मेरठ के जिला सम्मेलन में बोलते हुए इतिहासकार डॉक्टर घासीराम मलिक ने कहा कि आज समावेशी विकास पर हमला हो रहा है, वर्तमान सत्ता लेखन पर हमला कर रही है। सच्चाई लिखने वालों को डराया धमकाया जा रहा है। अभिव्यक्ति की आजादी पर सबसे बड़ा हमला हो रहा है, जनवादी लेखकों को इन सब विषयों पर लिखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि प्रेमचंद के उठाए गए अभियान को आगे बढ़ाने और जारी रखने की जरूरत है। आज जनवादी लेखन का दायित्व है कि वह सामाजिक मुद्दों को उठाएं और जनता को बताएं सांप्रदायिकता ताकतों की फासीवादी हिंसक मुहिम से लड़ने की और लिखने की जरूरत है। नफरत की राजनीति को जानना और बताना लेखकों का मुख्य काम है। समाज के गरीब सबको पर हो रहे हमलों से बचाना उनकी जिम्मेदारी है जनता के संघर्षों से देश की जनता को अवगत कराना लेखन का मुख्य काम है वे जनता को सच्चे इतिहास की जानकारी दें, सरकार कानून के शासन को रोक रही है और धार्मिक पूर्वक फैलाकर नफरत फैला रही है। उन्होंने कहा कि आज समता मूलक समाज बनाने का लेखन किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर बोलते हुए जनवादी लेखक संघ के नवनिर्वाचित सचिव मुनेश त्यागी ने कहा कि आज सरकार जनतंत्र, संविधान और धर्मनिरपेक्षता के मूलभूत सिद्धांतों पर हमला कर रही है। वह आम जनता की समस्याओं को हल ना करके चंद बड़े बड़े पैसे वालों के लिए काम कर रही है। सरकार नफरत फैलाने के लिए हिंदू मुस्लिम नफरत फैला रही है। वह जनता की एकता तोड़ रही है और आज औरतों पर जो हमले हो रहे हैं, वे दिल को दहला देने वाले हैं आज जनवादी लेखकों की जरूरत है कि वे इन तमाम मुद्दों पर लिखे, जनता को अवगत करायें और सरकार की जन विरोधी नीतियों से पर अपना लेखन केंद्रित करें।
इस अवसर पर अध्यक्षता कर रहे रामगोपाल भारतीय ने कहा कि संघर्षशीलता और असहमति वाले लेखन को आगे ले जाने की जरूरत है। उन्होंने लेखकों का आह्वान किया कि वे संगठित होकर संघर्ष करें और कथनी और करनी का भेद मिटायें, तभी अच्छा लेखन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था की आलोचना सरकार की आलोचना नहीं है। उन्होंने लेखकों का आह्वान किया कि वे जनता के हित में लेखन करें। आज हमें ब्रेन वॉशिंग के खिलाफ लिखना है, आज समाज में धर्म नहीं, धर्मांता फैलाई जा रही है। हम चुप ना रहें ,अपनी बात कहें और सच्चे मुद्दों को उठाएं।
सरधना से आए जितेंद्र पांचाल ने कहा कि साहित्यकारों को मशाल वाहक बनने की जरूरत है।आज बहुत सारे साहित्यकार और लेखक जनता की बात न कहकर सरकार और पैसे वालों की बात कह रहे हैं और अपने जनवादी और धर्मनिरपेक्ष मिशन को छोड़कर भाग रहे हैं।
इस अवसर पर कौशल कुमार, डोरी लाल भास्कर, मंगल सिंह मंगल, इशाक अली सुंदर, धर्मपाल मित्रा, फकरे आलम, जीशान कुरैशी ,जीपी सालोनिया और इर्शाद चौहान आदि लेखकों ने भी अपने विचार व्यक्त किया।
खुले सत्र के बाद चुनाव सत्र में जिला मंत्री मुनेश त्यागी ने अपनी रिपोर्ट पेश की और भविष्य का कार्यक्रम पेश किया जिसे कुछ सुझावों के बाद सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसके बाद जिला कमेटी का चुनाव किया गया जिसमें रामगोपाल भारतीय अध्यक्ष, डॉक्टर जी आर मलिक उपाध्यक्ष, मुनेश त्यागी सचिव, मंगल सिंह उप सचिव, धर्मपाल मित्र कोषाध्यक्ष और फकरे आलम और जितेंद्र पांचाल को सर्व सम्मति से जिला कमेटी सदस्य चुना गया। जिला कमेटी के दो स्थानों को रिक्त रखा गया है।
इस अवसर पर ऑल इंडिया लायर्स यूनियन के जिला सचिव देवेंद्र सिंह ने बधाई देते हुए कहा कि समाज को बचाने की जिम्मेदारी साहित्यकारों पर है। वे समाज को जागरूक करने वाला साहित्य रचें।उन्होंने कहा कि आज अखबारों का पतन हो चुका है वे सरकार की हां में हां मिल रहे हैं और उन्होंने चौथे स्तंभ को धराशाई कर दिया है। लेखक समाज के लोगों से जुड़े और जनता को जगाएं और जनता के व्यवस्था परिवर्तन के लिए लिखें।
इस अवसर पर उपरोक्त के अलावा कुंवर असलम खान, जय गोपाल सिंगल, धर्मवीर चंदेल, ओमप्रकाश, ब्रह्मपाल सिंह, वीरेंद्र सिंह, इर्शाद चौहान, राजीव कुमार और राजकुमार एडवोकेट जीवन लाल और राजेन्द्र सिंह आदि उपस्थित थे।
प्रस्तुतकर्ता : मुनेश त्यागी
सचिव , जनवादी लेखक संघ मेरठ