1.
घिरे हुए
आज के समय में
हम सब चारों ओर से
घिरे पड़े हैं
कोई बरोजगारी में घिरा
कोई ज्यादा दौलत से घिरा
कोई शर्म के दामन में घिरा
कोई गरीबी की मार में घिरा
कोई दो वक्त रोटी की मांग में घिरा
कोई बच्चों की पढ़ाई की मार में घिरा
कोई मजबूरी की चाहत की मार में घिरा
हर कोई किसी न किसी रूप में घिरा हुआ है
ये घिरतेपन से कब आजाद होगा ।
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2
हर रोज़
हर रोज़ इस दुनिया में
नये नये खेल होगे
कोई लूट रहा है
कोई लुट रहा है
काम धंधे में ध्यान नहीं
कर के खाणा नही जी
सारे बन गए चोर
काम नहीं कोई और
बहन बेटियों की आबरू उतारे
वो भी जी से दुनिया में
जिस बेटी की आबरू उतरी
वो मरे सारे के सारे
ये कैसा न्याय है
आप बताओ सारे
आप बताओ….।
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3
भगवान
ज्यादा बारिश न करें
आप अनाज के भण्डार
खीर पूड़ी की चटकार
उसके बाद ऐसा न करें
ज्यादा बारिश न करें
सोच
सभी घरों की छतें
निश्चित नहीं
कोई टपकती
कोई खिसकती
किसी की फसल खराब
कोई फसल सूखी
बहुत है
जब आप बारिश ज्यादा करते हैं
मेरी माँ कैसे रोटी सेंके
जलाऊ लकड़ी गीली बहुत है
और कच्चे शेडों से पानी रिसना
बहनों के भाग्य के दिन
पर मेढ़क टर टरा रहे हैं
बिना फसल कैसी राखी
और छोड़ो मोर की आवाज
कोयल की कू- कू
हमारी चीख निकल जाती है
दया करना
हर जगह एक जैसा ना करे
जलभराव को मरने दें
क्या आप जानते हैं
पत्थर पर पक्की ईंटें
खरीदारी करते समय
वे अंदर से बहुत खराबी करती हैं
और उसी दिन…
उसी दिन
हमारा घर बनना शुरू होता है
एक भूखा गिद्ध
जब कभी ख़्वाबों का इन्द्रधनुष
मेंरे ऊपर गिर गया
हम आपको जरूर बताएंगे
एक गरीब और अमीर
में क्या फ़र्क है
अभी आप
ज्यादा बारिश न करें
ज्यादा गरीबी की चिंता न करें
हम खुद देखभाल कर लेंगे
बस हमें जीने दें…..।
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4.
भगवानदास
मैं परसों भगवानदास से मिला
जो अर्द्ध नग्न अवस्था में था
और रिक्शा खींच रहा था
मैं भगवान से बोला भगवानदास
यह आपकी क्या दशा है
भगवानदास ने कहा
मेरे दो छोटे छोटे बच्चे है
जो पढ़ते हैं
पेट पालने का सवाल है
पेट खड्डा भी भरना पड़ता है
इसके लिए मुझे पूरे दिन रिक्शा खींचना पड़ता है
तब जाकर शाम को
अपने बच्चों का पेट भर पाता हूं
अपनी दिहाड़ी मज़दूरी करके गुज़ारा चलाता हूं
मेरा नाम भगवानदास है लेकिन
मै एक गरीब बेसहारा और निर्बल व्यक्ति हूं
झुग्गी झोपड़ी में रहने वाला
मैं भगवानदास हूं
मैं भगवानदास हूं ।
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- 5.
मिट्टी का काम
काम करना चाहिए आप को
मिट्टी का
जिस तरह कुंभकार मिट्टी
के बर्तन बनाता है
पूरे दिन मिट्टी में
संलिप्त होता है।
ठीक उसी तरह हमने
भी इस समय समाज में
और अधिक संलिप्त हो जायें
ताकि सब एक होकर
पूरी दुनिया को
चार चांद लगा दें ।
यही मेरी ख्वाहिश है ।
और आप की भी हो .….???
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6
यह कैसा प्यार हो गया
पता नहीं इस दुनिया को क्या हो गया
मां बाप भाई बहन सब जुदा हो गया
यह कैसा प्यार हो गया
भाई बहन की रक्षा करता आज दिखाई नहीं देता
रक्षाबंधन पर बहन को भाई अब दिखाई नहीं देता
यह कैसा प्यार हो गया
बेटा बाप से दूर हो गया
बेटी मां से दूर हो गई
बहन भाई का प्यार था जो
वह आज सारी दुनिया खो गई
यह कैसा प्यार हो गया
दोस्ती भी नहीं आज इतनी खास कि निभा सके
दुश्मनी भी इतने नहीं खास कि आज निभा सके
पता नहीं इस दुनिया को क्या हो गया
यह कैसा प्यार हो गया
सारी दुनिया में आज प्यार की अहमियत इतनी नहीं रही
जो भाई-बहन मां बाप ने हुआ करती वह नहीं रही
पता नहीं इस देश को इस दुनिया को क्या हो गया
यह कैसा प्यार हो गया
जो खास अपने हैं वह आज दूर होते दिखाई दे रहे
जो दूर है वह आज अपने होते दिखाई दे रहे
यह कैसा प्यार है ए दुनिया वालो
यह कैसा प्यार है ए दुनिया वालो
यह कैसा प्यार है ज़रा खोल के बता दो
यह कैसा प्यार है
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कवि के बारे में-
खान मनजीत भावड़िया मजीद जी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में उर्दू साहित्य पढ़ाते हैं। यह 2003 से लेखन में सक्रिय हैं। इनकी अब तक हरियाणवी झलक (काव्य संग्रह), सच चुभै सै (काव्य संग्रह), हकीकत (उर्दू कविता), रम्ज़ -ए-उर्दू नामसे पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। तीन विषयों से एमए किया है। लेखन के साथ साथ सांगठनिक कार्यों से जुड़े हुए हैं। यह महासचिव विकास शिक्षा समिति भावड सोनीपत, जनवादी लेखक संघ हरियाणा से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। इन्हें कई पुरस्कार / सम्मान मिल चुके हैं। संपादक