तब किससे नफरत करोगे
ओमप्रकाश तिवारी
तुम्हारी नकार से
और हर दुत्कार से
ताकत ही मिलती है
तुम जब-जब किये खारिज
मैं तब-तब हुआ दाखिल
तुम्हारी नफरत
ऊर्जा देती रही
एहसान फ़रामोश नहीं हूं
इसलिए, जनाब शुक्रिया
मैं..मैं.. ही रहूँगा
तुम…तुम.. नहीं रह पाओगे
हरकते बताती हैं
एक दिन खो जाएगी
याददाश्त और तब
किससे नफरत करोगे?
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