मुनेश त्यागी की कविता – इस धोखे में मत रहना 

 इस धोखे में मत रहना

मुनेश त्यागी

आंखों से पत्थर पिंघलेगा 

इस धोखे में मत रहना 

बिना लड़े इंसाफ मिलेगा 

इस धोखे में मत रहना।

भारत के जर्रे जर्रे में 

अपना-अपना हिस्सा है 

बुला बुलाकर कोई देगा 

इस धोखे में मत रहना। 

भाग्य और भगवान तो प्यारे 

केवल एक छलावा है 

ईश्वर ही कल्याण करेगा 

इस धोखे में मत रहना। 

कहा किसी ने तेरे हाथों में 

धन दौलत की भी रेखा है 

छप्पर फाड़कर धन बरसेगा 

इस धोखे में मत रहना। 

शिक्षित और संगठित होकर 

खुद पर तुम विश्वास करो 

और कोई संघर्ष करेगा 

इस धोखे में मत रहना। 

संविधान की रक्षा करना 

हम सब की जिम्मेदारी है 

कोई और बेड़ा पार करेगा 

इस धोखे में मत रहना।