इस्तीफा देने के 90 दिनों के भीतर अगर NPS कर्मी की मौत हो तो उसे सेवाकाल में मृत्यु के आधार पर सभी लाभ मिले: पटेल

 

दिल्ली। ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन ने केंद्र और राज्य सरकारों से माग की है कि अगर एनपीएस कर्मचारी की मौत इस्तीफा देने के 90 दिन के भीतर होती है तो उसे सेवाकाल में मृत्यु के आधार पर सभी लाभ दिए जाएं।

एक बयान में आल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मंजीत सिंह पटेल ने बताया कि सात अक्टूबर को भारत सरकार ने एनपीएस के संबंध में एक क्लेरिफिकेशन जारी किया है जिसमें कहा गया है कि कोई भी एनपीएस कर्मचारी अगर सुपर एन्यूएशन से पहले इस्तीफा देता है तो उसे कर्मचारियों पर एनपीएस प्री मैच्योर एग्जिट एंड विड्रोल एक्ट 2015 के अनुसार कुल कॉर्पस का 20% देने का प्रावधान है और शेष 80% की उस कर्मचारी को पेंशन के लिए अन्यूइटी खरीदनी पड़ती है। लेकिन इस प्रक्रिया को 90 दिनों के बाद ही कंप्लीट किया जाता है क्योंकि 90 दिन के बाद ही इस्तीफा प्रभावी होता है। लेकिन इस दरम्यान अगर इस्तीफा देने वाले की मृत्यु हो जाती है तो उसके केस में बिना इंतजार किए इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाता है।

ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मंजीत सिंह पटेल ने आरोप लगाया कि मार्च 2021 में भारत सरकार ने एनपीएस के संबंध में एक बदलाव किया था जिसमें यह व्यवस्था की थी कि अगर सेवाकाल के दरमियान किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या फिर वह डिसएबल हो जाता है ऐसी स्थिति में उसके परिवार को कर्मचारी का पूरा अंशदान ब्याज सहित वापस कर दिया जाएगा और अंतिम बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के 50% के बराबर उसके परिवार को फैमिली पेंशन दी जाएगी।

क्योंकि किसी कर्मचारी का इस्तीफा 90 दिनों के बाद ही प्रभावी होता है। ऐसी स्थिति में अगर इस्तीफा देने के बाद उसके 90 दिन के अंदर ही उसे कर्मचारियों की मृत्यु हो जाती है तो उसकी मृत्यु को सेवाकाल में मृत्यु माना जाना चाहिए और 2021 एनपीएस अमेंडमेंट एक्ट के तहत उसके परिवार को अंतिम बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के 50% के बराबर फैमिली पेंशन देने का प्रावधान किया जाना चाहिए।

इसके साथ में कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित पूर्ण रूप से वापसी की जानी चाहिए। क्योंकि इस्तीफा देने के बाद 90 दिनों तक किसी भी कर्मचारी को इस्तीफा वापस लेने का अधिकार प्राप्त है अतः इस दरमियान अगर उसकी मृत्यु होती है उसकी मृत्यु को सेवाकाल में मृत्यु के रूप में कंसीडर किया जाना चाहिए। पटेल ने कहा ऐसे केस में सरकार को परिवार के प्रति सहानुभूति दिखाने की जरूरत है न कि उसके साथ व्यवसाय करने की।