न्यूयार्क विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर ने अपने शोध में किया खुलासा
नयी दिल्ली। शोधकर्ताओं ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। एक नए अध्ययन में यह बताया गया है कि फैसले लेने के लिए मस्तिष्क भविष्य के परिणामों की कल्पना कैसे करता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मस्तिष्क के इस प्रक्रिया की गहरी समझ अंततः निर्णय लेने की क्षमताओं को प्रभावित करने वाले विकारों के उपचार को बेहतर बना सकती है।
न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक मार्सेलो मैटर ने कहा कि योजना बनाने और निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण ‘प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स’ और ‘हिप्पोकैम्पस’ जो यादों को बनाने और संग्रहीत करने में मदद करता है के बीच एक परस्पर संबंध है जिससे हम अपने निर्णय लेने से पहले परिणामों की कल्पना कर पाते हैं। यह वैसे ही है जैसे एक शतरंज खिलाड़ी पहली चाल चलने से पहले उसके अनुक्रम (आगे की चाल चलने के बारे में) की कल्पना करता है। मार्सेला मैटर के शोध निष्कर्ष नेचर न्यूरोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
मीडिया रिपोर्टों में मार्सेलो मैटर के हवाले से बताया गया है कि प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स एक उद्दीपक के रूप में कार्य करता है जो हिप्पोकैम्पस में संग्रहीत संज्ञानात्मक मानचित्र का उपयोग करके संभावित क्रियाओं का मानसिक परीक्षण करता है।
उन्होंने कहा कि यह शोध योजना के तंत्रिका और संज्ञानात्मक तंत्र (ज्ञान संबंधी) पर प्रकाश डालता है, जो मानव और पशु दोनों की बुद्धि का एक मुख्य घटक है। इन मस्तिष्क तंत्रों की गहरी समझ अंततः निर्णय लेने की क्षमताओं को प्रभावित करने वाले विकारों के उपचार में सुधार कर सकती है।”
मैटर ने कहा, “कुल मिलाकर यह कार्य इस बारे में मूलभूत ज्ञान प्रदान करता है कि कैसे यह ब्रेन सर्किट (मस्तिष्क के यह हिस्से) हमें बेहतर निर्णय लेने के लिए सोचने में सक्षम बनाते हैं।”