इस ऐप का इस्तेमाल रंग-रूप, कद-काठी को लेकर नकारात्मक विचारों का कारण बन सकती है
एडिलेड। दुनियाभर में लगभग 35 करोड़ लोग सच्चे प्यार की तलाश के लिए डेटिंग ऐप का सहारा लेते हैं। इन ऐप की सालाना कमाई औसतन पांच अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक दर्ज की गई है।
ऑस्ट्रेलिया में 49 फीसदी वयस्कों ने मौजूदा समय में कम से कम एक डेटिंग ऐप या वेबसाइट पर सक्रिय होने की बात स्वीकारी है, जबकि 27 प्रतिशत अतीत में इनका इस्तेमाल कर चुके हैं।
डेटिंग ऐप ने जहां सच्चे प्यार की खोज में कई लोगों की मदद की है। वहीं, एक नए अध्ययन में मैंने और मेरे साथियों ने पाया कि इन ऐप का इस्तेमाल रंग-रूप, कद-काठी को लेकर नकारात्मक विचारों का कारण बनने के साथ ही मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
45 अध्ययनों के निष्कर्षों का विश्लेषण
फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के जैक बोमैन के शोध में कुछ इसी तरह का निष्कर्ष सामने आया है। जैक बोमैन ने 45 अध्ययनों के निष्कर्षों का विश्लेषण किया, जिनमें डेटिंग ऐप के इस्तेमाल के तरीके के साथ-साथ यह पता लगाने की कोशिश की गई थी कि इनसे रंग-रूप, कद-काठी को लेकर व्यक्ति की सोच कैसे प्रभावित होती है और उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है।
इनमें से ज्यादातर अध्ययन 2020 या उसके बाद प्रकाशित हुए थे और इन्हें अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अंजाम दिया गया था। 44 फीसदी अध्ययनों में केवल पुरुषों पर डेटिंग ऐप के इस्तेमाल का असर आंका गया था। महज सात प्रतिशत अध्ययन में महिलाओं की राय एकत्रित की गई थी।
जिन 45 अध्ययनों के निष्कर्षों का विश्लेषण किया गया, उनमें से 29 सिर्फ मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर डेटिंग ऐप के प्रभाव से संबंधित थे, जबकि 22 में रंग-रूप, कद-काठी को लेकर व्यक्ति की सोच में आने वाले बदलावों को भी आंका गया था।
कुछ अध्ययनों में डेटिंग ऐप का इस्तेमाल करने वालों और इनसे दूर रहने वालों के बीच के अंतर का पता लगाया गया। वहीं, कुछ अध्ययनों में यह जानने की कोशिश की गई कि व्यक्ति डेटिंग ऐप पर कितना समय गुजारता है और वह कितने ऐप पर सक्रिय है, इसका उसके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है।
डेटिंग ऐप के इस्तेमाल से रंग-रूप, कद-काठी को लेकर व्यक्ति की सोच में आने वाले बदलावों का पता लगाने वाले 85 फीसदी से अधिक अध्ययनों (22 में से 19) में दोनों के बीच नकारात्मक संबंधों की पुष्टि की। वहीं, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर आंकने वाले लगभग 50 प्रतिशत अध्ययनों (29 में से 14) में दोनों के बीच नकारात्मक संबंध मिले।
अध्ययन में पाया गया कि डेटिंग ऐप का इस्तेमाल रंग-रूप, कद-काठी को लेकर असंतोष, बेचैनी, मोटापे, डिप्रेशन और आत्मविश्वास में कमी का कारण बन सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य क्यों होता है प्रभावित
-ज्यादातर सोशल मीडिया ऐप की तरह ही डेटिंग ऐप भी मुख्य रूप से चित्र-केंद्रित होते हैं यानी उन पर फोटो और वीडियो साझा करने पर जोर रहता है। डेटिंग ऐप के उपयोगकर्ताओं को शुरुआत में सिर्फ फोटो देखने को मिलती है। सामने वाले शख्स के शौक क्या हैं और उसका मन किन चीजों में लगता है, इसका पता तभी लगता है, जब उपयोगकर्ता उसके प्रोफाइल पर नजर दौड़ाता है।
यही कारण है कि उपयोगकर्ता आमतौर पर किसी अकाउंट में लगी फोटो के आधार पर सामने वाले शख्स की प्रोफाइल का अंदाजा लगाते हैं। और अगर वे किसी शख्स की प्रोफाइल पर नजर दौड़ाने की जहमत भी उठाते हैं, तो भी वे उसे “पसंद” करेंगे या नहीं, यह बात मुख्य रूप से उक्त व्यक्ति की तस्वीर से निर्धारित होती है।
डेटिंग ऐप पर तस्वीरों और वीडियो को अहमियत देने की प्रवृत्ति उपयोगकर्ताओं में “सेल्फ-ऑब्जेक्टिफिकेशन” का कारण बन सकती है। इससे वे अपने रंग-रूप और कद-काठी को अधिक महत्वपूर्ण समझने लगते हैं, न कि इस बात को कि बतौर इंसान वे कैसे हैं। उनके मन में खुद के रंग-रूप और कद-काठी को लेकर अंसतोष या नकारात्मकता का भाव भी पैदा हो सकता है।
डेटिंग ऐप पर ज्यादा “मैच” न मिलना या मनचाहे प्रोफाइल वाले व्यक्ति का दिलचस्पी न दिखाना शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। जो उपयोगकर्ता डेटिंग ऐप पर इन चीजों का लगातार सामना करते हैं, उनमें बेचैनी, चिड़चिड़ेपन, आत्मसम्मान एवं आत्मविश्वास में कमी और अवसाद के विभिन्न लक्षण उभरने का जोखिम बढ़ जाता है।
ऐप डेवलपर और उपयोगकर्ता क्या करें
-डेटिंग ऐप बनाने वाले डेवलपर प्रोफाइल में फोटो और वीडियो को प्रमुखता से दर्शाने से बच सकते हैं। वे ऐसे एल्गॉरिद्म शामिल कर सकते हैं, जिनसे भेदभाव और उत्पीड़न के लिए इस्तेमाल शब्दों को सेंसर किया जा सके।
वहीं, उपयोगकर्ता ऐसी प्रोफाइल फोटो का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो उनके व्यक्तित्व की खूबियां बयां करें। वे सेल्फी या क्लोज-अप फोटो की जगह दोस्तों या परिजनों के साथ ली गई तस्वीर लगा सकते हैं। उपयोगकर्ताओं को सकारात्मक विषयों पर संवाद पर जोर देना चाहिए। उन्हें ऐसे व्यक्ति को तत्काल ब्लॉक कर देना चाहिए