- सोमवार साढ़े पांच घंटे चली केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसानों की बैठक रही थी बेनतीजा
- केंद्र सरकार एमएसपी पर कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने को तैयार नहीं
- इससे पहले 9 फरवरी की बैठक में भी नहीं हो सका था कोई फैसला
चंडीगढ़। किसानों के ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च में शामिल युवाओं के एक समूह ने मंगलवार को अंबाला में शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े।
इससे पहले सोमवार देर रात तक किसानों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच साढ़े पांच घंटे चली वार्ता के बाद सहमति न बनने पर किसानों ने दिल्ली कूच का फैसला बरकरार रखा था।
केंद्र सरकार एमएसपी का कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने पर तैयार नहीं हुई।
मंगलवार को शंभू बार्डर पर कुछ किसानों ने ट्रैक्टर की मदद से सीमेंट के अवरोधक हटाने का प्रयास किया।अधिकारियों ने कहा कि हरियाणा पुलिस द्वारा बैरिकेड से दूर रहने की अपील के बावजूद, कई युवा पीछे नहीं हटे और बैरिकेड के ऊपर खड़े रहे।
उन्होंने बताया कि जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने लोहे का बैरिकेड तोड़ दिया और उसे घग्गर नदी के पुल से नीचे फेंकने की कोशिश की, तो पुलिस ने आंसू गैस के कई गोले छोड़े।अधिकारियों ने बताया कि जब करीब एक घंटे बाद बड़ी संख्या में किसान शंभू सीमा पर बैरिकेड के पास एकत्र हुए, तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए फिर से आंसू गैस के गोले छोड़े।
इससे पहले सोमवार को साढ़े पांच घंटे तक चली किसान संगठनों के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों- पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। बैठक के बाद किसान नेताओं ने बाहर आकर ऐलान किया कि आंदोलन जारी है और केंद्र सरकार के जवाब का इंतजार करके हम मंगलवार सुबह 10 बजे अपने आंदोलन पर आगे बढ़ेंगे।
उन्होंने किसानों से दिल्ली कूच के लिए तैयार होने का आह्वान भी किया।जब कोई सहमति बनती नहीं दिखी तो केंद्र सरकार के रवैये का विरोध करते हुए किसान नेता बैठक छोड़कर बाहर आ गए।
किसानों की प्रमुख मांगों में, एमएसपी की गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशे लागू करना, नकली बीज व नकली कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों पर सख्त कार्रवाई करना, 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को पेंशन के अलावा पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए पुलिस केस वापस लेने, आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा जैसी मांगे शामिल हैं।
बैठक में किसान संगठनों की तरफ से जगजीत सिंह डल्लेवाल, स्वर्ण सिंह पंधेर, अभिमन्यु कोहाड़, इंदरजी कोटबुड्डा और जरनैल सिंह शामिल हुए थे। इससे पहले ‘दिल्ली कूच’ रोकने के उद्देश्य से गत 9 फरवरी को भी तीन केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठक हुई थी।
उस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए केंद्र से किसानों की जायज मांगे मानने की अपील की थी।
इस बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्रियों ने, पिछले आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेने, नकली बीज और नकली स्प्रे बनाने वाली कंपनियों को कड़ी सजा देने की मांगों पर सहमति जता दी थी, लेकिन किसान नेताओं का कहना था कि केंद्र की तरफ से केवल सहमति जताई जा रही है, लिखित रूप से कोई बात नहीं कही जा रही। इस तरह पहली बैठक भी बेनतीजा रही थी।
सोमवार को करीब साढ़े पांच घंटे चली मैराथन बैठक के बाद बाहर निकले किसान नेताओं में, स्वर्ण सिंह पंधेर ने मीडिया से कहा कि उनकी मुख्य तीन मांगें- एमएसपी की गारंटी, किसानों के कर्ज माफ करने और 60 से अधिक उम्र के किसानों को पेंशन देने पर सहमति नहीं बन सकी, हालांकि किसानों पर दर्ज मामले वापस लिए जाने पर केंद्रीय नेताओं ने सहमति जताई थी।
उन्होंने कहा कि किसान बातचीत के लिए तैयार हैं और केंद्र सरकार जब भी बातचीत के लिए बुलाएगी, हम जरूर जाएंगे। पंधेर ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है और वह केवल समय गुजराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमने पूरी कोशिश की और मंत्रियों से लंबी बातचीत की लेकिन कोई निर्णय नहीं निकल सका।