- जातीय संतुलन का भी रखा ख्याल
- जीतू पटवारी अध्यक्ष, उमंग सिंघार नेता प्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उप नेता पद की जिम्मेदारी सौंपी
आलोक वर्मा
मध्य प्रदेश में करारी हार के बाद कांग्रेस ने युवाओं को कमान सौंप दी है। पार्टी ने बड़ा कदम उठाते हुए कमलनाथ से अध्यक्ष पद छीन लिया है। वैसे यह अप्रत्याशित फैसला नहीं है। माना जा रहा था कि देर सबेर कमलनाथ की विदाई होगी। कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी को मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई है। जबकि नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी उमंग सिंघार को सौंपी है। विधानसभा में विधायक दल का उप नेता हेमंत कटारे को बनाया गया है।
कमलनाथ को जिम्मेदारी से मुक्त किया जाएगा इसका आभास तभी मिल गया था जब विधायक दल की बैठक में वह शामिल नहीं हुए थे। माना जा रहा है कि इस बार के विधान सभा चुनाव हारने की बड़ी वजह कमलनाथ हैं। उनका प्रदेश के नेताओं से दूरी, अहंकार, केंद्रीय नेतृत्व की बात न मानकर मनमर्जी से प्रत्याशियों का चयन करने के कारण कांग्रेस एंटी इन्कम्बेंसी के बावजूद बुरी तरह से चुनाव हार गई। इसके अलावा कमलनाथ के कारण इंडिया गठबंधन में भी दरार आ गई है।
कमलनाथ ने पहले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से गठबंधन नहीं किया और फिर अखिलेश यादव के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया। इसके चलते न सिर्फ अखिलेश नाराज हुए बल्कि इंडिया गठबंधन में दरार पड़ गई।
2018 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद जब कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया था तो वह विधायकों को साथ नहीं रख पाए। उनके अहंकारपूर्ण बर्ताव के चलते ही ज्योतिरादित्य 22 विधायकों को लेकर भाजपा में शामिल हो गए और कमलनाथ की सरकार को जाना पड़ा।
लेकिन राजनीतिक विश्वलेषकों का कहना था कि इसके बावजूद कमलनाथ के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया था। मध्य प्रदेश कांग्रेस को उन्होंने अपनी मर्जी से चलाया। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व की भी नहीं सुनी। उनकी जिद के चलते भोपाल में प्रस्तावित इंडिया गठबंधन की बैठक और रैली नहीं हो पायी। वह साफ्ट हिंदुत्व का एजेंडा चलाते रहे। बाबा बागेश्वर को बुलाकर उन्होंने छिंदवाड़ा में कथा का आयोजन किया।
राहुल गांधी देश भर में घूम घूमकर जाति जनगणना की बात करते रहे। मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी पचास फीसदी से अधिक होने के बावजूद कमलनाथ ने उसे चुनाव का मुद्दा नहीं बनाया। चुनाव के दौरान उनकी और दिग्विजय के साथ मनमुटाव की खबरें भी मीडिया में खूब चलीं। यहां तक कि दिग्विजय सिंह का “कुर्ता फाड़ने” का वीडियो भी वायरल हुआ।
अब कांग्रेस ने कमलनाथ को अध्यक्ष पद से हटाकर मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी युवा हाथों में सौंप दी है। शायद इससे कांग्रेस का कुछ भला ही हो।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में हार के बाद प्रदेश कांग्रेस संगठन में यह बड़ा बदलाव है। कांग्रेस ने पूरी पार्टी की कमान तीन युवाओं के हाथ में सौंप दी है। इस चुनाव में जातीय संतुलन भी रखा गया है। इस चयन को लोकसभा चुनाव के दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जीतू पटवारी (मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष)
कमलनाथ की जगह प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले जीतू पटवारी मध्य प्रदेश के तेजतर्रार युवा नेता हैं। वह ओबीसी वर्ग से आते हैं और पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। जीतू पटवारी का जन्म नवंबर 1973 में हुआ था। वह पहली बार 2013 में राऊ विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। 2018 में फिर वह दोबारा से राऊ से ही विधायक बने थे। तब वे कमलनाथ सरकार में उच्च शिक्षा, युवा और खेल मामलों के मंत्री थे। लेकिन 2023 का चुनाव वह हार गए।
उमंग सिंघार (नेता प्रतिपक्ष)
वहीं चौथी बार विधायक बने उमंग सिंघार नेता प्रतिपक्ष होंगे। उमंग धार जिले के गंधवानी से चार बार जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। वह आदिवासी वर्ग से हैं। दो बार लोकसभा प्रत्याशी रहे। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी रहे हैं। झारखंड- गुजरात चुनाव में सह प्रभारी भी रहे। वह मध्य प्रदेश की उप मुख्यमंत्री रहीं जमुना देवी के भतीजे हैं।
हेमंत कटारे (उप नेता)
उप नेता बनाए गए भिंड के अटेर से विधायक हेमंत कटारे पूर्व नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के पुत्र हैं। सत्यदेव कटारे अटेर सीट से 4 बार से विधायक और मप्र सरकार में गृह मंत्री रहे हैं। हेमंत ने 2023 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार में मंत्री रहे अरविंद भदौरिया को हराया था। जबकि पिछला चुनाव वह हार गए थे।