ज्यों नावक के तीर: जयपाल की पांच कविताएं
1.
प्रदूषण
बोली, भाषा, साहित्य
सभ्यता, संस्कृति और इतिहास
यह सच है
कि एक बहती नदी है
लेकिन यह भी सच है
कि यह नदी अब मैली हो रही है
राजनीतिक प्रदूषण से
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2
अंतिम व्यक्ति
कल लाल किले से
अंतिम व्यक्ति के नाम संबोधन था
अंतिम व्यक्ति वहां मौजूद नहीं था
प्रथम व्यक्ति ने ही सुना
प्रथम व्यक्ति का भाषण
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3.
हंसी-हंसी में
मुस्लिम मारा गया
हिंदू हंसता रहा
हिन्दू मारा गया
मुस्लिम हंसता रहा
हंसी-हंसी में दोनों मारे गए
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4.
हम
वह
आदमी को अस्पृश्य कहता है
और
हम उसे श्रेष्ठ कहते हैं
5.
पहली बार
इस बार नहीं कह पाया वह
–अछूत,शूद्र या जाति सूचक शब्द कोई!
हिम्मत ही नहीं हुई
इस तरह का कुछ कहने की
मन मसोस कर रह गया
आज पहली बार उसकी हिम्मत टूटी
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