मोदी बोले, कांग्रेस देश को उत्तर और दक्षिण में बांटने का विमर्श गढ़ रही

  • राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे थे प्रधानमंत्री
  • कहा- यह देश का भविष्ठ खतरे में डालता है

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार से देश को उत्तर और दक्षिण में बांटने वाला विमर्श न गढ़ने का आग्रह करते हुए कहा कि यह देश के भविष्य को खतरे में डालता है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने अफसोस जताया कि कर्नाटक सरकार विज्ञापनों के जरिए इस तरह की कहानी गढ़ रही है।

प्रधानमंत्री, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर-मंतर पर कांग्रेस के उस धरने का जिक्र कर रहे थे जो राज्य को कर हिस्सेदारी के बंटवारे पर केंद्र की ओर से किए गए कथित ‘अन्याय’ के खिलाफ दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘आज मैं एक खास मामले पर अपना दर्द बांटना चाहता हूं। जिस तरह से देश को तोड़ने के लिए इन दिनों भाषा बोली जा रही है, ये नए विमर्श राजनीतिक लाभ के लिए गढ़े जा रहे हैं। एक पूरा राज्य इस भाषा को बोल रहा है, देश के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता… हमने कौन सी भाषा बोलनी शुरू की है।’’

मोदी ने कहा कि इस तरह की बातें देश के लिए अच्छी नहीं हैं और इससे देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।उन्होंने अफसोस जताया कि देश के एक हिस्से में टीका बने और कोई कहे कि दूसरे हिस्सों में यह टीका नहीं दिया जा सकता।

उन्होंने कहा, ‘‘यह कैसी सोच है? और यह बहुत दुखद है कि एक राष्ट्रीय पार्टी से इस तरह की भाषा सामने आ रही है… यह बहुत दुखद है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह देश हमारे लिए सिर्फ जमीन का एक टुकड़ा नहीं है। यह मानव शरीर की तरह है, अगर कहीं दर्द होता है, तो हाथ यह नहीं कहता कि कांटा पैर में है और यह मेरी चिंता नहीं है … अगर इस देश में कहीं भी दर्द होता है, तो दर्द हर किसी को महसूस होना चाहिए।’’प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर शरीर का एक अंग काम नहीं करता तो पूरे शरीर को विकलांग करार दिया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर देश के किसी हिस्से में विकास नहीं होता तो देश विकसित नहीं हो सकता। इसलिए हमें देश को एक हिस्से के रूप में देखना चाहिए न कि अलग-अलग हिस्सों के रूप में।’’

प्रधानमंत्री ने हिमालय का उदाहरण देते हुए कहा कि क्या होगा, अगर कोई यह कहना शुरू कर दे कि नदियां वहां से बहती हैं और उन्हें दूसरों के साथ साझा नहीं किया जाएगा।उन्होंने कहा, ‘‘देश का क्या होगा, यह कहां रुकेगा? जिन राज्यों के पास कोयला है, यदि वे कहते हैं कि हम इसे दूसरों के साथ साझा नहीं करेंगे तो देश कैसे काम करेगा?’’

कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की मांग बढ़ने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उस वक्त पूर्वी राज्यों ने कहा होता कि वह अन्य क्षेत्रों के साथ ऑक्सीजन साझा नहीं करेंगे तो क्या होता?मोदी ने कहा, ‘‘देश के अंदर ये भाव… तोड़ने का क्या प्रयास हो रहा है? हमारा टैक्स हमारा पैसा…यह क्या भाषा बोली जा रही है?’’

उन्होंने कहा, ‘‘देश को तोड़ने के लिए इस तरह के नए विमर्श गढ़ना बंद करें। यह देश के भविष्य के लिए खतरा है। देश को साथ लेकर चलने की कोशिश करें।’’