- किसान अवरोधकों की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे
- केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों से बातचीत की पेशकश की
चंडीगढ़। हरियाणा के सुरक्षा कर्मियों ने कुछ युवा किसानों द्वारा बुधवार को पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर कई चरणों वाले अवरोधकों की ओर बढ़ने के बाद आंसू गैस के गोले छोड़े।हरियाणा पुलिस ने सुबह करीब 11 बजे आंसू गैस के गोले छोड़े जिसके बाद युवा किसान बचने के लिए इधर-उधर भागते दिखे।
पंजाब और हरियाणा के बीच दो सीमा बिंदुओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान बुधवार को अपना ‘‘दिल्ली चलो’’ मार्च फिर से शुरू करने का ऐलान कर रखा है। किसान हरियाणा के साथ लगती पंजाब की सीमा पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों से बातचीत की पेशकश की है।
सरकारी एजेंसियों द्वारा पांच साल तक दालें, मक्का और कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद वे अपना आंदोलन फिर से शुरू कर रहे हैं।
हजारों किसानों ने 13 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च शुरू किया था। इन किसानों को हरियाणा सीमा पर ही रोक दिया गया था, जहां उनकी सुरक्षाकर्मियों से झड़प हुई थी। किसान तब से हरियाणा के साथ लगती पंजाब की सीमा पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी और कृषि कर्ज माफी समेत अपनी मांगों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं।
भाजपा की शांतिपूर्ण समाधान की अपीलइस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों से पांचवें दौर की बातचीत की पेशकश करते हुए उनसे शांतिपूर्ण समाधान निकालने की अपील की है।भाजपा ने कहा कि किसानों का विकास केंद्र सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने यहां भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से कहा, ‘‘कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने बातचीत की पेशकश की है।
चर्चा और संवाद से ही समाधान निकलेगा।’’उन्होंने कहा कि सरकार खुले मन से चर्चा के लिए तैयार है।उन्होंने कहा, ‘‘किसानों से हमारी अपील है कि शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकलना चाहिए।’’प्रसाद ने कहा कि भाजपा-नीत केंद्र सरकार ने किसानों के लिए कितना काम किया है, यह कई बार बताया जा चुका है।उन्होंने कहा, ‘‘किसानों का विकास हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है और रहेगी।’’
एक दिन पहले प्रदर्शनरत किसानों ने सरकारी एजेंसियों द्वारा पांच साल तक दालें, मक्का और कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और अपना आंदोलन जारी रखने की घोषणा की थी।किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत में तीन केंद्रीय मंत्रियों की समिति ने रविवार को प्रस्ताव दिया था कि किसानों के साथ समझौता करने के बाद सरकारी एजेंसियां पांच साल तक दालें, मक्का और कपास एमएसपी पर खरीदेंगी। लेकिन, किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह किसानों के हित में नहीं है।