कन्नड़ की आपकी समझ गलत है, ऐसी सहिष्णु भाषा कोई दूसरी नहीं : बानू मुश्ताक

कन्नड़ की आपकी समझ गलत है, ऐसी सहिष्णु भाषा कोई दूसरी नहीं : बानू मुश्ताक

कर्नाटक सरकार सभी सरकारी पुस्तकालयों में उपलब्ध कराएगी ‘हार्ट लैंप’

बेंगलुरू। अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक ने सोमवार को कहा कि लोगों ने कन्नड़ भाषा और कन्नड़ लोगों को गलत समझा है क्योंकि ऐसी सहिष्णु भाषा कोई दूसरी नहीं है।

एजेंसी द्वारा जारी समाचार में बताया गया है कि कर्नाटक सरकार द्वारा उनके सम्मान में सोमवार को विधान सौध में आयोजित सम्मान समारोह में मुश्ताक ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मीडिया द्वारा अक्सर उनसे सवाल किया जाता है कि कन्नड़ में अन्य भाषाओं के प्रति असहिष्णुता क्यों है।

मुश्ताक ने कहा, ‘‘और मैं उनको बताती हूं : कन्नड़ की आपकी समझ गलत है। कन्नड़ जैसी सहिष्णु भाषा कोई और नहीं है। यह ऐसी भाषा है जिसने कई अन्य भाषाओं को मंच प्रदान किया है।’’

उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘कन्नड़ भाषा को यह विशिष्टता हासिल है कि उसके पास आठ ज्ञानपीठ और एक बुकर पुरस्कार है। यह कोई छोटी बात नहीं है।’’

इस समारोह की अध्यक्षता मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने ‘हार्ट लैंप’ के लिए मुश्ताक और उनके कहानी संग्रह की अंग्रेजी अनुवादक दीपा भास्ती को दस -दस लाख रूपये प्रदान किए जाने की भी घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुश्ताक की किताब कर्नाटक के सभी सरकारी पुस्तकालयों में उपलब्ध करायी जाएगी।

मुश्ताक ने कहा,‘‘ यह तो केवल शुरूआत है। मैं अपनी जमीन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती हूं। अभी मुझे और बहुत सी कहानियां कहनी हैं- उन्हें पूरी दुनिया के सामने पेश करना है।’’

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