जब सूरज पर तूफ़ान आता है, तो हमारी नसों और धमनियों में भी खून का संचार बढ़ जाता है! क्या महिलाओं को ज़्यादा ख़तरा है?

जब सूरज पर तूफ़ान आता है, तो हमारी नसों और धमनियों में भी खून का संचार बढ़ जाता है! क्या महिलाओं को ज़्यादा ख़तरा है?

  • चीनी वैज्ञानिकों ने पांच लाख लोगों के रक्तचाप की ‘रीडिंग’ पर रखी बारीक नजर

  • शोध का परिणाम ‘कम्युनिकेशन मेडिसिन’ पत्रिका में प्रकाशित 

आलोक वर्मा

चीनी वैज्ञानिक पिछले छह सालों से सौर तूफ़ानों का अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने लोगों के रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) की पाँच लाख से ज़्यादा ‘रीडिंग’ पर बारीकी से नज़र रखी है और कुछ निष्कर्ष निकाले हैं।

खगोलशास्त्री हमेशा से सौर तूफानों को लेकर उत्सुक रहे हैं। जब सूर्य पर कोई तूफान आता है, तो उसका असर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर पड़ता है। कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएँ भी बाधित होती हैं। लेकिन क्या सूर्य में होने वाले विस्फोटों का असर मानव शरीर पर भी पड़ता है? ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया। चीन के वैज्ञानिकों के एक समूह ने हाल ही में शोध करके इस मुद्दे पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि सौर तूफान हमारे शरीर में प्रवाहित तरल रक्त से जुड़े होते हैं! जब सूर्य पर कोई तूफान आता है, तो हमारे शरीर के अंदर का रक्त अशांत हो जाता है!

चीन के क़िंगदाओ और वेहाई के वैज्ञानिक पिछले छह सालों से सौर तूफानों का अध्ययन कर रहे हैं। उनके शोध के परिणाम ‘कम्युनिकेशन मेडिसिन’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने पाँच लाख से ज़्यादा लोगों के रक्तचाप की ‘रीडिंग’ पर बारीकी से नज़र रखी। उन्होंने इनकी तुलना भू-चुंबकीय गतिविधि से की। सूर्य की ऊर्जा (सौर ऊर्जा) पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करती है, और परिणामस्वरूप, भू-चुंबकीय गतिविधि भी बदल जाती है।

चीनी शोधकर्ताओं का दावा है कि हमारे शरीर में रक्तचाप में उतार-चढ़ाव का एक विशिष्ट पैटर्न होता है, जो भू-चुंबकीय गड़बड़ी की तीव्रता को भी दर्शाता है। सरल शब्दों में कहें तो रक्तचाप में उतार-चढ़ाव और भू-चुंबकीय गतिविधि की तीव्रता एक ही पैटर्न का पालन करती हैं। इनका एक विशिष्ट चक्र होता है। कभी यह चक्र एक साल में, कभी छह महीने में, तो कभी हर तीन महीने में दोहराया जाता है। हमारा रक्तचाप हवा के तापमान, प्रदूषण आदि जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कोई भी कारक रक्तचाप के इस तीन महीने के चक्र से मेल नहीं खाता। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह इस बात का प्रमाण है कि रक्त और भू-चुंबकीय ऊर्जा के बीच का संबंध बाकी सभी से अलग है।

वैज्ञानिकों ने देखा है कि जब सूर्य पर बार-बार तूफ़ान आते हैं, तारे के अंदर का वातावरण अस्थिर हो जाता है और सूर्य में बार-बार विस्फोट होता रहता है, तो हमारे रक्तचाप में सामान्य से ज़्यादा उतार-चढ़ाव होता है। भू-चुंबकीय वातावरण में होने वाले विभिन्न परिवर्तनों को देखते हुए, इस समय रक्तचाप की प्रतिक्रिया को ज़्यादा तेज़ी से समझा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि इस संबंध में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज़्यादा ख़तरा है। महिलाओं का रक्तचाप भू-चुंबकीय परिवर्तनों के प्रति कहीं ज़्यादा संवेदनशील होता है। शोध पत्र में कहा गया है, “भू-चुंबकीय गतिविधि रक्तचाप के उतार-चढ़ाव को और बढ़ा सकती है। इसका उन लोगों पर ज़्यादा असर पड़ता है जो शारीरिक रूप से कमज़ोर हैं।” ऐसे में, जिन लोगों को उच्च रक्तचाप या कोई अन्य बीमारी है, उन्हें भी ज़्यादा ख़तरा है।

डॉक्टर अंतरिक्ष के मौसम पर भी नज़र रखेंगे

वैज्ञानिकों के अनुसार, यह नया शोध चिकित्सा विज्ञान में मददगार साबित हो सकता है। अब से डॉक्टर अंतरिक्ष के मौसम पर भी नज़र रखेंगे। इससे बीमारियों के कारणों को समझने और उनका इलाज करने में मदद मिलेगी। माना जा रहा है कि भू-चुंबकीय गतिविधि हमारे रक्त को क्यों प्रभावित करती है और इससे कैसे निपटा जाए, इसकी पुष्टि के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

आलोक वर्मा