दीपक वोहरा द्वारा अनुवाद की हुई कार्ल सैंडवर्ग की कविताएं हम पहले भी प्रतिबिम्ब मीडिया में प्रकाशित कर चुके हैं। अब उनकी चार और कविताएं यहां हिंदी में प्रस्तुत की जा रही हैं। खास बात यह है कि दीपक जी विदेशी भाषा के कवियों की कविताओं का अनुवाद तो देते ही हैं साथ ही वह मूल कविता को भी देते हैं। यहां पर उन्होंने प्रत्येक कविता के पहले उसके संबंध में अपनी टिप्पणी भी दी है ताकि पाठक का दायरा विस्तृत हो सके। दीपक वोहरा हिंदी के अकेले अनुवादक/साहित्य अध्येता हैं जो इस तरह का काम कर रहा है। यह एक अलग तरह की अनुभूति है जिसे केवल प्रतिबिम्ब मीडिया के पाठक ही समझ सकते हैं। –संपादक
दीपक वोहरा की कलम से
कार्ल सैंडबर्ग (1878-1967) ने इस कविता को मुक्त छंद में पहेली के रूप में लिखा है। इसका कोई विशेष ढांचा या कविता का पैटर्न नहीं है। जब हम पहेली का उत्तर खोज लेते हैं, तो हम देखते हैं कि सत्य अर्थात् सच जो कि अमूर्त होता है उसे मानव के रूप में मूर्त किया है, मानवीकरण अलंकार (personification) का उपयोग करके । इस कविता में अंग्रेज़ी का अलंकार oxymoron का इस्तेमाल भी बख़ूबी किया गया है। इस तरह का अलंकार हिन्दी साहित्य में तो नहीं है। Oxymoron में एक साथ दो विपरीत शब्दों का उपयोग किया जाता है, जैसे आवारा मसीहा। उसी तरह गूंजते झाग (sounding foam), पकड़ में न आने वाला कैदी (elusive captive) आदि।
कार्ल सैंडबर्ग की अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन (“ईमानदार एब”) में रुचि ने उन्हें दो बहु-खंड वाली जीवनी लिखने के लिए प्रेरित किया। इन जीवनियों ने सैंडबर्ग को 1939 के पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया।
1.मैं कौन हूँ
मेरा सिर सितारों से टकराता है।
मेरे पैर पहाड़ी चोटी पर हैं।
मेरे अंगुली के पोर सार्वभौमिक जीवन की घाटियों और तटों में हैं।
प्राथमिक चीजों के गूंजते झाग में मैं अपने हाथ डालता हूँ और भाग्य के कंकड़ों के साथ खेलता हूँ
मैं कई बार जहन्नुम गया हूँ और वापस आया हूँ
मुझे जन्नत के बारे में सब कुछ पता है, क्योंकि मैंने अल्लाह से बात की है
मैं भयानक लोगों के खून और हिम्मत में डूबा हुआ हूं
मुझे खूबसूरती की जज़्बाती गिरफ्त का पता है
और “बचकर रहो” का संकेत पढ़ते हुए मानव की अद्भुत विद्रोह भी
मेरा नाम सत्य है और मैं ब्रह्मांड का सबसे कठिन
पकड़ में न आने वाला कैदी हूँ।
Who I am
My head knocks against the stars.
My feet are on the hilltops.
My finger-tips are in the valleys and shores of universal life.
Down in the sounding foam of primal things I reach my hands and play with pebbles of destiny.
I have been to hell and back many times.
I know all about heaven, for I have talked with God.
I dabble in the blood and guts of the terrible.
I know the passionate seizure of beauty
And the marvelous rebellion of man at all signs reading “Keep Off.”
My name is Truth and I am the most elusive captive in the universe.
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2.धुंध
आती है धुंध
दबे पाँव बिल्ली की तरह
यह बैठ जाती है
झुके हुए पैरों पर
चुपचाप
देखते हुए
खाड़ी औ’ शहर
और फिर आगे बढ़ जाती है
बिना कुछ कहे
Fog
The fog comes
on little cat feet.
It sits looking
over harbor and city
on silent haunches
and then moves on.
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दीपक वोहरा की कलम से
कार्ल सैंडबर्ग अमेरिकी कवि, इतिहासकार, उपन्यासकार और लोकगीतकार थे। कार्ल सैंडबर्ग का जीवन काल 1878 से 1967 तक था। उनके कुछ कृतियों को पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त हुए, और सैंडबर्ग के नाम पर एक मिडिल स्कूल भी है। इस कविता में, एक पिता अपने बेटे को जो सलाह देना चाहता है, उसके बारे में सोच रहा है।
3.एक पिता अपने बेटे से
एक पिता अपने बेटे को युवा होते हुए देखता है।
उसे अपने बेटे को क्या बताए?
“जीवन कठिन है; फ़ौलाद बनो; मज़बूत बनो।”
और यह तूफानों में उसकी मदद कर सकता है
और नीरसता के लिए उसे सहारा दे सकता है
और अचानक विश्वासघात के बीच में उसका मार्गदर्शन कर सकता है
और कमज़ोर क्षणों में उसे मजबूत कर सकता है।
“जीवन एक नरम मिट्टी है; कोमल बनो; प्रेम से रहो।”
और यह भी उसकी मदद कर सकता है।
जब कोड़े काम न आए तब भी वहशी दरिंदों को मोहब्बत से जीता गया है।
एक कमजोर फूल का पथ पर उगना
कभी-कभी एक चट्टान को भी तोड़ देता है।
मजबूत इरादा मायने रखता है। उसी तरह जज़्बा भी।
एक समृद्ध कोमल चाहत भी।
मज़बूत इरादे के कुछ भी नहीं मिलता।
उसे बताओ कि अकूत धन दौलत
लोगों को मार देती है ज़िंदा जी
और कुछ ख़ास जरूरतों से परे पैसों की भूख
अच्छे-भले इंसानों को
कभी-कभी सूखे, नाकाम और मायूस कीड़ों में बदल देती है।
उसे बताओ कि समय एक चीज़ है जिसे बर्बाद किया जा सकता है।
उसे बताओ कि कभी कभी बेवकूफ बनना भी ठीक है
और बेवकूफ होने पर शर्मिंदा न होए
फिर भी हर मूर्खता और ग़लती से कुछ सीखना चाहिए
यहां तक कि छोटी सी मूर्खताओं को न दोहराने की उम्मीद में
इस प्रकार एक ऐसी गहरी समझ तक पहुंचना
जहाँ और भी पागल होते हैं।
उसे अमूमन अकेला रहने के लिए कहो ताकि वो अपने आप को समझे
और सबसे बढ़कर, अपने बारे में अपने आप को कोई झूठ न बोले
जो भी सफेद झूठ और सुरक्षा के मुखौटे
वह दूसरों के खिलाफ इस्तेमाल करे
उसे बताओ कि एकान्त रचनात्मक होता है
अगर वह मजबूत है
और अंतिम निर्णय मौन कमरों में लिए जाते हैं।
उसे दूसरों से अलग रहने के लिए कहो
अगर अलग रहना स्वाभाविक और आसान हो।
उसे गहरे कारणों की तलाश करते हुए आलसी दिन बिताने दो।
उसे खोजने दो कि वह प्राकृतिक रूप से कहां जन्मा है।
तब वह शेक्सपियर1
और राइट बंधुओं2, पाश्चर3, पावलोव4,
माइकल फैराडे5 और मुक्त कल्पनाओं को समझ पाएगा
जो इंकलाब लाते हैं एक ऐसी दुनिया में जो परिवर्तन को नापसंद करती है।
वह काफी अकेला होगा
जिससे उसके पास अपने काम के लिए समय होगा
जिसे वह अपना काम समझेगा।
1.विलियम शेक्स्पीयर ( 23 अप्रैल 1564 – 23 अप्रैल 1616 ) अंग्रेज़ी के कवि, काव्यात्मकता के विद्वान नाटककार तथा अभिनेता थे। उनके नाटकों का लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
- राइट बंधु: दो अमरीकन बंधु थे जिन्हें हवाई जहाज का आविष्कारक माना जाता है।
- लुई पाश्चर: एक फ्रांसीसी रसायनशास्त्र वैज्ञानिक और सूक्ष्म-जैवविज्ञानी थे जो टीकाकरण, किण्वन और पास्तरीकरण के सिद्धान्तों की अपनी खोजों के लिए प्रसिद्ध थे। रसायन विज्ञान में उनके शोध ने रोगों के कारणों और निवारण की समझ में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की, जिन्होंने स्वच्छता, जनस्वास्थ्य और आधुनिक चिकित्सा की नींव रखी।
- इवान पत्रोविच पावलोव ( 26 सितंबर 1849 – 27 फरवरी 1936) एक रुसी फिजियोलॉजिस्ट थे। पावलोव ने 1904 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार जीता था, यह पहला रूसी नोबेल पुरस्कार विजेता था।
- माइकल फ़ैराडे : एक ब्रिटिश वैज्ञानिक थे जिन्होंने विद्युच्चुम्बकत्व और विद्युद्रसायन के अध्ययन में योगदान दिया था। उनकी मुख्य खोजों में विद्युच्चुम्बकीय प्रेरण, प्रतिचुम्बकत्व और विद्युदपघटन अंतर्निहित सिद्धांत अन्तर्गत हैं। माइकल फैराडे का जन्म 22 सितंबर 1791 ई. को हुआ। इनके पिता बहुत गरीब लोहार थे और लुहारी का कार्य करते थे। इन्होंने अपना जीवन लंदन में जिल्दसाज की नौकरी से प्रारंभ किया। समय मिलने पर रसायन एव विद्युत् भौतिकी पर पुस्तकें पढ़ते रहते थे।
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अनुवादक की कलम से
कार्ल सैंडबर्ग एक अमेरिकी कवि थे जिनका जीवन 1878 से 1967 तक था। वे लोकगीतकार, इतिहासकार और उपन्यासकार थे। अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण, वह केवल 8वीं कक्षा तक ही स्कूल जा पाए, लेकिन उनके परिवार ने मेहनत और शिक्षा को बहुत महत्व दिया। बाद में, उन्हें लम्बर्ड कॉलेज में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला क्योंकि उन्होंने स्पेनिश-अमेरिकी युद्ध में सेवा की थी। इस कविता में, वक्ता उस लड़की के बारे में बात करता है जिसे वह एक दिन मिलेगा। वह उम्मीद करता है कि वह लड़की उसकी जिंदगी में आएगी, लेकिन उसे यह भी पता है कि यह केवल एक ख़्वाब हो सकता है।
4.ख़्वाब वाली लड़की
तुम एक दिन मोहब्बत के फ़साने में आओगी
शबनम की तरह कोमल, बारिश की तरह तेज़
धूप की तपिश से तुम्हारा रंग होगा और साँवला
तुम्हारी लरज़ती हुई आवाज़ में हवा की होगी सनसनाहट
तुम एक पहाड़ी फूल के साथ अदा में पोज दोगी
तुम आओगी, अपनी पतली, भावपूर्ण बाहों के साथ,
तुम्हारी अदा ऐसी होगी जिसे कोई शिल्पकार नहीं पकड़ सकेगा
और कंधे और गले से बोली गई बारीकियाँ,
तुम्हारे चेहरे पर भावों के उतार चढ़ाव ऐसे
जैसे थोड़े से बदलाव में बदल जाते हैं आकाश के रंग
बादल और नीला साफ़ आकाश और चमकता सूरज।
फिर भी,
हो सकता है तुम नहीं आओ, हे ख्वाब वाली लड़की
बस हम भी ऐसे ही गुजर जायेंगे जैसे गुजरती है दुनिया
और आंखों ही आंखों में नजर से
एक आशा की किरण और एक यादगार दिन लें ले
अनुवादः दीपक वोहरा