क्या नवजोत सिद्धू की राजनीतिक पारी का अंत हो गया?

  • दोबारा क्रिकेट कमेंट्री करते नजर आएंगे पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष

ए के वर्मा

तो क्या यह मान लिया जाए कि पंजाब कांग्रेस के एक तेजतर्रार राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीतिक पारी का अंत हो गया। क्रिकेट खेल से क्रिकेट की टीवी पर कमेंट्री, फिर टीवी पर कामेडी शोज के जज के तौर पर काम करने के बाद राजनीति में आए । इस तेजतर्रार ओपनर बैट्समैन ने उसी तेजी से राजनीति में भी चौके छक्के लगाए जैसे वह क्रिकेट में लगाया करते थे। और जिस तरह उनका विवादों से नाता क्रिकेट में रहा, उसी तरह राजनीति में भी रहा।

भारतीय जनता पार्टी से 2004 में सिद्धू को अमृतसर से सांसद के चुनाव में उतारा। चुने जाने के बाद उन्होंने कांग्रेसे का दामन थाम लिया। वहां की एंट्री भी धमाकेदार रही। कैप्टन अमरिंदर सिंह को न चाहते हुए भी मंत्रिमंडल में लेना पड़ा और पारी पूरी किए बगैर नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया। लेकिन अमरिंदर सिंह भी अपनी पारी पूरी नहीं कर पाए और उनको इस्तीफा देना पड़ा।सिद्धू ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर अमृतसर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2004 का लोकसभा चुनाव जीता।

जब वे सांसद बन गये तो उनके ख़िलाफ़़ पुराने केस की फ़ाइल खोल दी गयी। राजनीति में आने से बहुत समय पूर्व 1988 में सिद्धू को किन्हीं गुरनामसिंह की इरादतन हत्या के सिलसिले में सह-आरोपी बनाया गया था।

उन्हें पटियाला पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। उन पर आरोप यह था कि उन्होंने गुरनामसिंह की हत्या में मुख्य आरोपी भूपिन्दर सिंह सन्धू की सहायता की है जबकि सिद्धू ने इन आरोपों को गलत बताया था।

सिद्धू ने कोर्ट में यह दलील दी कि वह इस मामले में पूरी तरह निर्दोष हैं और शिकायतकर्ताओं ने उन्हें झूठा फँसाया है।

दिसम्बर 2006 में अदालत के अन्दर उनपर मुकदमा चलाया गया। उपलब्ध गवाहियों के आधार पर नवजोत सिंह सिद्धू को चलती सड़क पर हुए झगड़े में एक व्यक्ति को घातक चोट पहुँचाकर उसकी गैर इरादतन हत्या के लिये तीन साल कैद की सजा सुनायी गयी।

सजा का आदेश होते ही उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से जनवरी 2007 में त्यागपत्र देकर उच्चतम न्यायालय में याचिका ठोक दी। उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा दी गयी सजा पर रोक लगाते हुए फरवरी 2007 में सिद्धू को अमृतसर लोकसभा सीट से दोबारा चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी।

इसके बाद 2007 में हुए उप-चुनाव में उन्होंने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के पंजाब राज्य के पूर्व वित्त मन्त्री सुरिन्दर सिंगला को भारी अन्तर से हराकर अमृतसर की यह सीट पुनः हथिया ली।

2009 के आम चुनाव में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी को 6858 वोटों से हराकर अमृतसर की सीट पर तीसरी बार विजय हासिल की।

अप्रैल 2016 में उनको राज्यसभा का सदस्य बनाया गया लेकिन तीन महीने बाद ही उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। कहा जाता है कि उनको राज्यसभा इसलिए भेजा गया था ताकि वह आम आदमी पार्टी न ज्वाइन करें।

लेकिन उन्होंने 2016 में भाजपा से इस्तीफा दे दिया । इसके बाद, 2017 मे नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली. सिद्धू ने कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद अपने को पैदाइशी कांग्रेसी बताया था।

2021 में नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस काअध्यक्ष बनाया था | कहा जाता है कि सिद्धू को कांग्रेस में प्रियंका गांधी लेकर आई थीं और उनको राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का आश्वासन दिया गया था।

लेकिन सिद्धू की कैप्टन अमरिंदर सिंह से कभी नहीं पटी। कैप्टन उनको अपने मंत्रिमंडल में भी शामिल नहीं करना चाहते थे लेकिन हाईकमान के दबाव में उन्होंने मंत्री बना दिया। परंतु सिद्धू कभी स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पाए और फिर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन वे कभी चुप नहीं बैठे और कैप्टन के खिलाफ लगातार मुहिम चलाते रहे।

2022 के विधान सभा चुनाव से कुछ समय पहले कैप्टन ०अमरिंदर सिंह को मजबूरन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा तब नवजोत सिद्धू भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे। लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के चलते उनको मुख्यमंत्री पद नहीं मिल सका।

चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन उनसे भी सिद्धू की नहीं पटी। माना जाता है कि पंजाब में 2022 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस केवल अपने नेताओं की फूट और लगातार बयानबाजी के कारण हारी। आम आदमी पार्टी ने 92 सीटें जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया और भगवंत मान मुख्यमंत्री बने। तत्कालीन मुख्यमंत्री चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू भी चुनाव हार गए।

2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा मिली करारी हार के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया । इसके बाद भी पंजाब कांग्रेस में पंजाब सिद्धू को लेकर विवाद चलते रहे।
इसी बीच गैर इरादतन हत्या के मामले में सिद्धू को सजा हो गई और जेल काटकर नवजोत सिद्धू भी राजनीति के मैदान में सक्रिय हो गए ।
कांग्रेस ने सुनील जाखड़ के इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह राजा बड़िंग को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया। लेकिन नवजोत सिद्धू की उनसे कभी नहीं पटी। पिछले काफी समय से पंजाब कांग्रेस जब लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी थी तब भी सिद्धू ने अलग लाइन ले रखी थी। उन्होंने पंजाब कांग्रेस से इतर अपनी रैलियां कीं। वह पार्टी द्वारा बुलाई गई बैठकों में नहीं पहुंचे।

कुछ दिन पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पंजाब आए तो उस रैली में भी नवजोत सिद्धू नहीं गए। तब उन्होंने कहा था कि उनको रैली में बुलाया नहीं गया। पंजाब से सिद्धू कांग्रेस के अकेले नेता थे जो राज्य में आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात करते रहे।

पिछले काफी समय से उनकी गतिविधियों को देखकर यही लगता था कि कांग्रेस से उनकी लंबे समय तक निभेगी नहीं। नवजोत सिद्धू ने आईपीएल टूर्नामेंट में कमेंट्री करने की घोषणा की है लेकिन उन्होंने अब तक न कांग्रेस पार्टी छोड़ी है और न ही राजनीति को अलविदा कहा है। अब नजर रहेगी कि आगे वह क्या करते हैं।