एशिया के 100 शीर्ष शिक्षण संस्थानों में पांच आईआईटी, डीयू और आईआईएससी

एशिया के 100 शीर्ष शिक्षण संस्थानों में पांच आईआईटी, डीयू और आईआईएससी

क्यूएस ने मंगलवार को घोषित क्यूएस यूनिवर्सिटी रैंकिंग

नयी दिल्ली। मंगलवार को घोषित क्यूएस यूनिवर्सिटी रैंकिंग के अनुसार एशिया के शीर्ष शिक्षण 100 संस्थानों में पांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु और दिल्ली विश्वविद्यालय शामिल हैं।

आईआईटी-दिल्ली, आईआईटी-मद्रास, आईआईटी-मुंबई, आईआईटी-कानपुर और आईआईटी-खड़गपुर शीर्ष 100 एशियाई संस्थानों की सूची में शामिल हैं।

लंदन स्थित ‘क्यूएस’ ने एक बयान में कहा, ‘‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी एशिया रैंकिंग में सात भारतीय संस्थान शीर्ष 100 में, 20 शीर्ष 200 में और 66 शीर्ष 500 में हैं।’’

उसने कहा कि पिछले साल की रैंकिंग की तुलना में 36 भारतीय संस्थानों में सुधार हुआ है, 16 की रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ और 105 में गिरावट आई है।

क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) ने कहा, ‘‘रैंकिंग का विस्तार इस वर्ष के परिणामों में देखी गई अधिक अस्थिरता से जुड़ा है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘कुल मिलाकर, 41 भारतीय संस्थान विश्वविद्यालयों के शीर्ष 80 पर्सेंटाइल में शामिल हैं। पीएचडी कर्मियों के मामले में एशिया में भारत सर्वश्रेष्ठ स्थान पर है।’’

आईआईटी-दिल्ली इस वर्ष 59वें स्थान पर है। उसे लगातार पांचवें वर्ष सर्वश्रेष्ठ भारतीय संस्थान घोषित किया गया।

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग: एशिया 11 संकेतकों के आधार पर विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन करती है, जिन्हें क्षेत्र की बारीकियों को प्रतिबिंबित करने और इसे क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग से अलग करने के लिए तैयार किया गया है।

क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जेसिका टर्नर ने कहा, ‘‘भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन अब आंकड़ों में दिखाई दे रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के केवल पांच वर्षों में, भारत ने ऐसी प्रणाली-स्तरीय क्षमता का निर्माण किया है जो वैश्विक रूप से प्रासंगिक और स्थानीय रूप से सशक्त है।’’

उन्होंने कहा कि इस वर्ष की एशिया रैंकिंग में 130 से अधिक भारतीय विश्वविद्यालयों का प्रवेश गहराई के साथ-साथ व्यापकता का एक मजबूत संकेत है।

उन्होंने कहा, ‘‘जैसे-जैसे अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र परिपक्व होता है और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां बढ़ती हैं, भारत न केवल एक अध्ययन स्थल के रूप में, बल्कि पूरे एशिया में नवाचार, समावेश और सतत विकास को आकार देने वाले एक वैश्विक ज्ञान नेता के रूप में भी अपनी स्थिति बना रहा है।’’

 

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