गतिशील, ऊर्जावान और युवा दिल – जयसिंह पूनिया

हरियाणाः जूझते जुझारू लोग-30

गतिशील, ऊर्जावान और युवा दिल – जयसिंह पूनिया

सत्यपाल सिवाच

पंद्रह साल पुराने साथियों को जयसिंह पूनिया की मुस्कराहट, काम को समझकर तुरन्त हाँ करने और उस पर अमल करने में तत्पर चेहरा जरूर याद होगा। उनके जिम्मे कोई काम लगाते ही यह उम्मीद बन जाती है कि सफलता मिले न मिले, वे कोशिश जरूर करेंगे। आज आपको उनसे साक्षात्कार के जरिए मिलवाकर यादें ताज़ा करवा देता हूँ।

जय सिंह पूनिया भिवानी जिले के मतानी गांव में श्री जगमाल सिंह और श्रीमती केसर देवी के यहाँ दिनांक 09.07.1953 को पैदा हुए। वे पाँचवीं कक्षा तक गांव में पढ़े और दसवीं तक की शिक्षा अपने गुहांड मीठी में प्राप्त की। सन् 1971 में दसवीं परीक्षा पास करने के बाद जाट कॉलेज हिसार में प्रवेश ले लिया और सन् 1975 में बी.ए. उपाधि हासिल हुई। इसके बाद घर पर खाली न रहकर सात रुपए प्रतिदिन की दिहाड़ी पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में डेलीवेज कर्मचारी बन गए। रोजगार कार्यालय नाम दर्ज करवाने पर 29.12.1976 को पशुपालन विभाग में एडहॉक आधार पर लिपिक के रूप में ज्वाइन किया। यहीं से उनका कर्मचारी आन्दोलन में जुड़ने और सक्रिय होने का सिलसिला शुरू होता है।

नौकरी तदर्थ आधार पर थी। हर छह महीने बाद इसका एक्सटेंशन लेना पड़ता था। सन् 1978 में नियमित भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई तो यह डर सताने लगा कि पक्का कर्मचारी आते ही घर बैठना पड़ेगा। उन दिनों सभी लिपिकों को अपना वेतन पास करवाने के लिए खजाना कार्यालय आना पड़ता था। अपने जैसे और भी लिपिकों से तालमेल हुआ। उस समय हिसार के उपायुक्त कार्यालय में हरियाणा सुबोर्डिनेट सर्विसेज फैडरेशन के नेता करतार सिंह पंघाल लिपिक पद पर तैनात थे। उन्होंने सलाह दी कि तमाम एडहॉक लिपिकों को इकट्ठे करके यूनियन बना लो। इस तरह मधुबन पार्क हिसार में एक बैठक करके जिला इकाई बना ली और जयसिंह पूनिया को उसका सचिव चुन लिया गया। यह सिलसिला दूसरे जिलों में भी 1978 तक पूरा हो गया। सभी से परामर्श करके देवीलाल सरकार के वित्त मंत्री मूलचन्द जैन के आवास पर चण्डीगढ़ में प्रदर्शन किया। दूसरे विभागों के कर्मचारी भी अपने ढंग से विरोध कार्यवाहियां कर रहे थे। इन सबका नतीजा यह हुआ कि सरकार 31.12.1979 तक दो वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को नियमित करने की नीति बना दी। इस तरह बहुत से कर्मचारियों के साथ उनकी सेवाएं भी नियमित हो गई।

इस अनुभव ने यूनियन बनाने और संघर्ष करने की प्राथमिक चेतना जगा दी थी। हरियाणा कर्मचारी आन्दोलन के अनेकों कर्मचारी नेता संभवतः इसी प्रक्रिया से गुजरकर संघर्षों में आए होंगे। जब दिसम्बर 1986 में सर्वकर्मचारी संघ बना तब जयसिंह पूनिया करनाल में तैनात थे। यहीं रहते हुए जीवन में पहली बार हड़ताल की। दूसरी गतिविधियों के साथ हड़ताल में जाने के अनुभव ने आत्मविश्वास बढ़ा दिया। इसके बाद वे लघुसचिवालय हिसार में आ गए थे। पहली बार अखिल भारतीय हड़ताल का मौका आया तो उसमें भी शामिल हुए। सन् 1989 में हरफूल सिंह भट्टी ने सुझाव दिया कि पशुपालन विभाग के लिपिकों की यूनियन बना लेनी चाहिए। वर्ष 1990 में वे सभी जिला मुख्यालयों पर गए और पशुपालन विभाग के लिपिकों की बैठक करके उन्हें संगठित किया। इस प्रकार राज्य हरियाणा पशुपालन विभाग फील्ड मिनिस्ट्रियल स्टॉफ एसोसिएशन का गठन हुआ। सर्वकर्मचारी संघ के 1986-87 के सफल आन्दोलन के बाद नयी यूनियनें बनने का सिलसिला शुरू हो गया था। नयी बनी एसोसिएशन में उन्हें प्रधान बनाया गया और वे सन्  2008 तक लगातार अठारह साल अध्यक्ष निर्वाचित किए जाते रहे।

इस बीच वे कब सर्वकर्मचारी संघ के कार्यकर्ता के विकसित हो गए, पता ही नहीं चला। वे ब्लॉक से जिला आदि सभी स्तर की जिम्मेदारी लेते रहे। सन् 2000 में सरकार ने पशुधन विकास बोर्ड का गठन किया तो कर्मचारियों में सरकारी विभाग को बोर्ड में तब्दील किए जाने की आशंका से आक्रोश फैल गया। इसके विरोध के लिए पशुपालन विभाग के तमाम कर्मचारियों की तालमेल कमेटी बनाई। जयसिंह को इसका अध्यक्ष बनाया गया। जैसा कि ऊपर संकेत दिया गया है वे सहज रूप से सर्वकर्मचारी संघ के कार्यकर्ता भी बन गए थे। उन्हें पहले ब्लॉक सचिव और बाद में जिला आडिटर का कार्यभार सौंपा गया। कुछ वर्ष बाद में उन्हें यूनियन के नेता के रूप में सर्वकर्मचारी संघ में राज्य सचिव बनाया गया। वे इस पद पर दो बार चुने गए और एक बार उन्हें कार्यालय सचिव के रूप में महासचिव के सक्रिय सहायक की तरह काम करने का मौका मिला। जो भी जिम्मेदारी मिली उसे पूरी ईमानदारी के साथ निभाया। उन्हें रोडवेज हड़ताल के मौके पर 28.04.1989 से 01.05.1989 तक जेल भेजा गया। बाद में सन् 1993 के ऐतिहासिक कर्मचारी आन्दोलन में भी गिरफ्तार किया गया और वे 06.12.1993 से समझौता होने यानी 15.12.1993 तक जेल में रहे। इस हड़ताल में उन्हें धारा 311(2) ए.बी.सी. के तहत बर्खास्त कर दिया था। समझौते के साथ सेवाएं बहाल हो गई। आन्दोलन के दौरान अनेकों बार ट्रांसफर किया गया।

आन्दोलन के समय परिवार का रूख बहुत सकारात्मक रहा। उनकी पत्नी शकुन्तला देवी ऐसे हर मौके पर दृढ़ता से साथ खड़ी रही। जयसिंह की गैरहाजिरी में बच्चों और वृद्ध माता पिता की देखभाल करने की जिम्मेदारी भी ज्यादातर उन्होंने अकेले ही निभाई। साथ ही वे जयसिंह को हौसला देती – “घर की, बच्चों की और माता पिता की चिंता छोड़कर अपने काम पर डटे रहो। मैं खुद ठीक से संभाल लूंगी।” जब विभाग के अधिकारी 1993 में बर्खास्तगी नोटिस लेकर आए तो उन्होंने कह दिया कि वे नोटिस नहीं लेंगी। अधिकारी ने दरवाजे पर चिपकाने की कोशिश की तो लठ उठाकर चुनौती दी – “यहाँ कोई कागज नहीं चिपकाने दूंगी।” वह वापस लौट गया।

जयसिंह वैसे तो पहले से ही वामपंथी विचारधारा से प्रेरित थे। उनके छोटे भाई दयानन्द पूनिया सिवानी इलाके में ही नहीं, हिसार और भिवानी दोनों ही जिलों में किसान आन्दोलन के नेता और सीपीएम के प्रमुख नेता रहे।  वे माकपा जिला सचिव और राज्य सचिवमंडल में भी रहे। जयसिंह पर भी यह प्रभाव रहा। सन् 2000 के आसपास वे मार्क्सवादी साहित्य पढ़ने लगे। दिनांक 31.07.2011 को सेवानिवृत्त होने पर उन्होंने पार्टी सदस्यता ली और बाद में वे जिला कमेटी सदस्य भी रहे। हिसार में किसान सभा के साथ भी उन्होंने काम किया। जब 2017 में किसान सभा का अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित किया गया तो वे मुख्य संगठनकर्ता और प्रबंधक के रूप में सक्रिय रहे। सन् 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सुखबीर सिंह को चुनाव में उतारा तब जयसिंह व मनोहरलाल जाखड़ ने अकांउट का काम संभाला।

सन्  2012 में आर. सी. जग्गा ने सुझाव दिया कि हमें रिटायर्ड कर्मचारियों को संगठित करना चाहिए। पीएफआरडीए के जरिए पेंशन को खतरा हो सकता है। कुछ महीनों की तैयारी के बाद 02.12.2012 को हिसार में पहला सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा का गठन किया। उस सम्मेलन में आर.सी. जग्गा को अध्यक्ष, राजेन्द्र सिंह अहलावत को महासचिव और जयसिंह को कोषाध्यक्ष निर्वाचित किया गया। फिर उन्हें 2015 में भी कोषाध्यक्ष चुना गया। घरेलू कारणों से उन्होंने 2018 में जिम्मेदारी नहीं ली, क्योंकि उन्हें घरेलू उत्तरदायित्व के गुड़गांव जाना था। तब से वे गुड़गांव जिले के उपाध्यक्ष के रूप में सक्रिय हैं।(सौजन्य:ओम सिंह अशफ़ाक)

लेखक : सत्यपाल सिवाच ।