आठ सदस्यीय जिला कार्यकारिणी का गठन, ओम बनमाली सचिव चुने
संत रविदास ने अपने रचनाकर्म के जरिए समय की चुनौतियों का दिया जवाबः प्रो सुभाष
अंबाला। संत रविदास ने अपने समय की चुनौतियों को स्वीकार किया और उसका जवाब अपने रचनाकर्म के माध्यम से निडर होकर दिया। यह बात प्रोफेसर सुभाष चंद्र ने कही। वे जनवादी लेखक संघ अंबाला जिला के सम्मेलन के मौके पर रविदास के जीवन दर्शन पर व्याख्यान दे रहे थे। सम्मेलन में श्रीमती अनुपम शर्मा को जलेस का जिलाध्यक्ष और ओम बनमाली को सचिव चुना गया।
सिक्ख सीनियर सेकंडरी स्कूल अंबाला छावनी में आयोजित जनवादी लेखक संघ अंबाला के जिला सम्मेलन की अध्यक्षता प्रोफेसर रतन सिंह ढिल्लों ने की। इस मौके पर डा सुभाष चंद्र ने संत रविदासके जीवन दर्शन पर कहा कि रविदास जी ने ‘बेगमपुरा’ शहर की परिकल्पना थी जिसमें सब बराबर और सुखी होंगे। यह एक तरह से आज के समाजवादी समाज की पूर्व कल्पना थी । प्रोफेसर रतन सिंह ढिल्लों का कहना था कि आज के रचनाकार को रविदास की तरह अपनी रचनाओं में लोक-जीवन की भाषा,लोक विधाएं और लोक संगीत को स्थान देना चाहिए ताकि लेखक की बात आमजन तक पहुंच सके।
इस मौके पर कविता गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। प्रोफेसर गुरदेव सिंह देव ने संत रविदास के ‘बेगमपुरा’ पर ‘बेगमपुरा सहर का नांउ’ पद को तरुन्नम में गाकर कविता गोष्ठी का शानदार आगाज किया । कविता पाठ करने वाले अन्य कवियों में प्रोफेसर रतन सिंह ढिल्लों, ओम बनमाली, राजिंदर कौर, अंजली सिफर, अनुपम शर्मा, दर्शन दर्शी (चंडीगढ), पंकज शर्मा, जगमाल सिंह राणा, मनमोहन शर्मा, मनजीत सिंह (कुरुक्षेत्र) दीपक वोहरा (करनाल) सरदानंद राजली (हिसार) नरसिंह कुमार( अंबाला) आदि ने अपनी बेहतरीन कविताओं का पाठ किया। इन कवियों ने अपनी कविताओं के द्वारा समाज के प्रति अपने दायित्व और प्रतिबद्घता को प्रकट किया।
संगठनात्मक सत्र में जनवादी लेखक संघ अंबाला इकाई की नई टीम का चयन किया गया। श्रीमती अनुपमा शर्मा को जिलाध्यक्ष चुना गया। उपाध्यक्ष नरसिंह कुमार, सचिव-ओम बनमाली, सह-सचिव पंकज शर्मा कोषाध्यक्ष हितेश को चुना गया। प्रोफेसर रतन सिंह ढिल्लों, ,तनवीर जाफरी और मनमोहन शर्मा को संरक्षक मंडल में रखा गया है।
जिला सम्मेलन के तीन सत्र थे। संगठन सत्र का संचालन जयपाल और सरदानंद राजली ने किया ।काव्य पाठ सत्र का संचालन ओम बनमाली ने और संत रविदास व्याख्यान सत्र का संचालन प्रोफेसर गुरुदेव सिंह देव ने किया ।
इस आयोजन को सफल बनाने में प्रोफेसर राजीव चंद्र शर्मा, प्रोफेसर मयंक आनंद (पटियाला) तर्कशील पत्रिका के संपादक गुरमीत सिंह, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शोध-छात्र योगेश शर्मा/नरेश कुमार दहिया, सुजय कुमार, जसवंत सिंह, भगवंत सिंह ,उदयभान आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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