चंडीगढ़। उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने सोमवार को पंजाब और हरियाणा की खनौरी सीमा पर आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने डल्लेवाल से चिकित्सा सहायता लेने का अनुरोध किया।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक डल्लेवाल फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर 26 नवंबर 2024 से आमरण अनशन पर हैं।
पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता वाली समिति अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे खनौरी धरना स्थल पर पहुंची और बुजुर्ग डल्लेवाल से चिकित्सा सहायता लेने का अनुरोध किया।
इससे पहले दिन में, उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के माध्यम से पीठ को समिति की तय बैठक के बारे में जानकारी दी गई।
शीर्ष अदालत ने सितंबर 2024 में प्रदर्शनकारी किसानों की मांगों का सौहार्दपूर्ण समाधान करने के उद्देश्य से समिति का गठन किया था।
समिति में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी बी. एस. संधू, कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा, प्रोफेसर रंजीत सिंह घुमन और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ. सुखपाल सिंह भी शामिल हैं।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह ने डल्लेवाल से मुलाकात के बाद मीडिया से कहा, ‘‘हम वाहेगुरु से प्रार्थना करते हैं कि वह स्वस्थ रहें।’’
संवाददाताओं ने जब यह पूछा कि क्या डल्लेवाल ने चिकित्सा सहायता लेने पर हामी भर दी है तो न्यायमूर्ति नवाब सिंह ने कहा, ‘‘हम सभी ने उनसे कई बार चिकित्सा (सहायता) के लिए अनुरोध किया। हम चाहते हैं कि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज यहां यह कहने नहीं आया हूं कि आंदोलन समाप्त हो जाना चाहिए, बल्कि यह कहने आया हूं कि आपका स्वास्थ्य अच्छा रहना चाहिए। मैंने उनसे यह भी कहा कि जब भी वह कहेंगे, हम यहां मौजूद रहेंगे।’’
न्यायमूर्ति नवाब सिंह ने बताया कि डल्लेवाल ने समिति से कहा कि उनके लिए कृषि पहले है और उनका स्वास्थ्य बाद में।
डल्लेवाल का आमरण अनशन सोमवार को 42वें दिन में प्रवेश कर गया। उन्होंने लंबे समय से चल रहे अपने अनशन के बावजूद अब तक कोई भी चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है, जिसके कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है।
किसानों का दावा है कि समिति के पास कोई शक्ति नहीं है और केवल केंद्र ही उनके मुद्दे को हल कर सकता है। इस बारे में पूछे जाने पर समिति के सदस्यों ने कहा कि समिति के पास ‘‘कोई अधिकार नहीं है’’, यह उच्चतम न्यायालय में एक ‘‘अच्छा विश्लेषण’’ प्रस्तुत करेगी, जिसे सर्वोच्च प्राधिकार कहा जाता है।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि अदालत को रिपोर्ट चरणबद्ध तरीके से सौंपी जाएगी।
शीर्ष अदालत के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के अलावा समिति गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का भी विश्लेषण करेगी।
किसानों की कानूनी एमएसपी की मांग पर टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर समिति के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमारी चिंता उच्चतम न्यायालय को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की है।’’
समिति के सदस्य और कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहा कि समिति ने डल्लेवाल को बताया कि जब वे उच्चतम न्यायालय को रिपोर्ट सौंपेंगे तो किसान नेता स्वस्थ होने चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने डल्लेवाल साहब से कहा कि हम यहां उनसे यह अनुरोध करने आए हैं कि हमें आपकी जान चाहिए, हमें आपकी जरूरत है।’’
खाद्य नीति विश्लेषक एवं शोधकर्ता शर्मा ने यह भी कहा कि समिति गांवों का दौरा करेगी और किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘आज हम आए और उनसे मिले। हम पिछले चार महीनों से किसानों से मुलाकात का इंतजार कर रहे थे। वे नहीं आए; लेकिन हम आए। हम हर जगह किसानों से मिलेंगे। हमारा प्रयास होगा कि हम आपसे समझें और आप हमें समझें और फिर हम एक व्यावहारिक समाधान निकालने की कोशिश करें।’’
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। पिछले साल 13 फरवरी को सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली कूच करने से रोक दिया था।