कविता
जूठे पत्तल दोना भगतो
रमेश जोशी
ठंडे चूल्हे पर रखा है
खाली बड़ा भगौना भगतो
रोटी दवा पढ़ाई गायब
झूठा जादू टोना भगतो
वही चुनावी खेल तमाशा
कुछ होना ना होना भगतो
चोरों तक को नहीं मिला कुछ
ढूँढ़ा घर, हर कोना भगतो
लाला नेता हलवा, हमको
जूठे पत्तल दोना भगतो
