भुवेंद्र त्यागी लेखक, अनुवादक और पत्रकार हैं। आज उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर एक कविता पोस्ट की। चार्ल्स बुकोवस्की की कविता So You Want To Be A Writer का हिंदी अनुवाद ‘तो तुम लेखक बनना चाहते हो’। कविता बहुत अच्छी है। उसे प्रतिबिम्ब मीडिया के पाठकों के लिए प्रकाशित किया जा रहा है। भुवेंद्र जी से साभार। साथ में उनका वकतव्य भी दिया जा रहा है।
अनुवादक भुवेंद्र त्यागी का वक्तव्य
एक कविता लेखकों के लिए
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● आज अचानक Charles Bukowski की कविता So You Want To Be A Writer पर नजर पड़ी। यह अपने साथ इस तरह बहा ले गई कि त्वरित अनुवाद कराकर ही मानी।
● प्रस्तुत है चार्ल्स बुकोवस्की का संक्षिप्त परिचय और इस कविता का अनुवाद-
◆ आम अमेरिकियों की आवाज
चार्ल्स बुकोवस्की (1920-1994) जर्मन अमेरिकी कवि, उपन्यासकार, कथाकार और स्तंभकार थे। उनके लेखन में अमेरिकियों का साधारण जीवन रेखांकित हुआ है। उन्होंने हजारों कविताएं, सैकड़ों कहानियां और छह उपन्यास लिखे। उनकी साठ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुईं। बुकोवस्की के जीवनकाल में उन पर अमेरिका में अकादमिक आलोचकों ने बहुत कम ध्यान दिया, लेकिन पश्चिमी यूरोप, विशेष रूप से इंग्लैंड और जर्मनी में उन्हें काफी सराहा गया।
तो तुम लेखक बनना चाहते हो
चार्ल्स बुकोस्की
अनुवाद: भुवेन्द्र त्यागी
अगर फूट के ना निकले भीतर से कुछ
सब कुछ होते हुए भी
तो मत लिखो।
अगर बिना कहे ना निकले तुम्हारे
दिलो-दिमाग़ और जुबां से
और अंतड़ियों से
तो मत लिखो।
अगर तुम्हें घंटों बैठना पड़े
अपने कम्प्यूटर स्क्रीन को ताकते
या टाइपराइटर पर झुककर
शब्दों को तलाशते
तो मत लिखो।
अगर तुम लिख रहे हो नावे या
नाम के लिए
तो मत लिखो।
अगर तुम लिख रहे हो
किसी को बांहों में लेने के लिए
तो मत लिखो।
अगर करनी पड़े मशक्कत
बार-बार सुधार करने के लिए
तो मत लिखो।
अगर लिखने के बारे में सोचकर ही
झन्ना जाए दिमाग
तो मत लिखो।
अगर किसी और की तरह
लिखने की कोशिश कर हो
तो रहने ही दो।
अगर वक़्त लगता है इसे मुखरित होकर भीतर से आने में
तो धीरज धरो, वक़्त दो।
अगर यह फिर भी मुखरित न हो आपके भीतर से
तो कुछ और करो।
अगर पहले पढ़ कर सुनाना पड़ता है
अपनी बीवी या माशूका या माशूक
या मां-बाप या किसी और को
तो तुम कच्चे हो अभी।
अनगिनत लेखकों जैसे मत बनो
उन हजारों जैसे तो मत ही बनो
जो कहते हैं खुद को लेखक
रहते हैं उदास, खोखले और नक्शेबाज़
आत्ममुग्ध मत बनो।
दुनिया भर के पुस्तकालय
लेते हैं जम्हाई
इस तरह के लेखन से।
इस तरह का मत लिखो।
मत ही लिखो।
जब तक तुम्हारी आत्मा से
शब्द झरते हुए न आएं
खामोशी जब तक
जुनून, खुदकुशी या कत्ल
का इरादा पैदा न कर दे
तब तक मत लिखो।
जब तक कि तुम्हारे भीतर का सूरज
तुम्हारी अंतड़ियों में आग न लगा दे
मत लिखो, मत ही लिखो।
क्योंकि जब वक़्त आएगा
और तुम पर होगी नियामत
तो तुम लिखोगे और लिखते रहोगे
जिंदा रहने तक या तुम्हारे भीतर इसके रहने तक।
कोई और तरीका नहीं है लिखने का
कोई और तरीका था भी नहीं कभी।