नींद, पसीना और उत्पाद
ओमप्रकाश तिवारी
सुबह जिस टूथपेस्ट से ब्रश करते हैं
उनके निर्माण में कइयों का पसीना बहा होता है
जो टूथपेस्ट की नमकीनीयत और ब्रश की लचक से समझ सकते हैं
कइयों की नींद का वक्त भी समाया होता है
जिससे वक्त की अहमियत समझ सकते हैं
इसी तरह कपड़े के निर्माण में भी समाया होता है कईयों का पसीना
जिसे कपड़े की खुशबू बया कर रही होती है
कइयों की नींद का वक्त भी समाया होता है प्रत्येक कपड़े में
जो मौकों-मौकों पर कपड़े की अहमियत बता रही होती है
कुछ ऐसा ही हर उत्पाद में समाया होता है कइयों का पसीना और नींद का वक्त
चाहे वह आपका सुबह का अखबार ही क्यों न हो
हर सुबह आपको जगाने वाला
तमाम खबरों को बताने वाला अखबार
कइयों की नींदों के वक्त से
तरोताजा होता है
स्याही और कागज की खुशबुओं में बहुतों का पसीना समाया होता है
मौसम बारिश का हो या ठंड का या गर्मी का
बिना नागा जो आप तक अखबार पहुंचाते हैं
आपकी सुबह सूचनाओं से भर देते हैं
आपकी जानकारी को बढ़ाते और समृद्ध करते हैं
वे बहुत कम सोते हैं और बहुत काम करते हैं
अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाते क्योंकि बच्चे और उनके सपने पाल रहे होते हैं
सबकी खबर रखते हैं पर खुद से ही बेखबर होते हैं
अखबार की हर खबर की हर पंक्ति में होते हैं
मगर किसी पाठक को महसूस नहीं होने देते
पाठक की खुशी में केवल मुस्कुरा रहे होते हैं
जब आप सो रहे होते हैं तो वो जाग रहे होते हैं
चाय के साथ आपको मिले सूचनाओं का खजाना
इसलिए वे रात में खबरों को सजा और अखबार छाप रहे होते हैं
कई बंडल बांध रहे होते हैं तो कई आपकी मंजिल तक उछाल रहे होते हैं…
—–_