ओमप्रकाश तिवारी की कहानी -ड्यूटी

 

ड्यूटी

ओमप्रकाश तिवारी

वह भेष बदल कर बैठा था.

चाय की दुकान थी और उसके हाथ में चाय ही थी.

उसके सामने क़ानून की वर्दी में वह भी आकर बैठ गई. साथ उसके चार सहकर्मी भी थे.

पीने के लिए उसने भी चाय ले ली.

सामने वाले को गौर से देखा तो माथा ठनक गया. सोचा लग तो वही रहा है. कैसे पहचाना जाय? यदि वही हुआ तो क्या किया जाय? क्या गिरफ्तार कर लें?

सिर झटक दिया. आगे नहीं सोचा गया. वह उसे पहचानती है. गिरफ्तार करना नहीं चाहती. उसे गिरफ्तार करने के लिए उसकी ड्यूटी लगी है. उसे ड्यूटी करनी है. इसलिए कि उसे नौकरी करनी है. नौकरी बहुत जरूरी है. इसी से जिंदगी चलती है. यही हकीकत है बाकी सब मिथ्या है. इसे वह जानती है.

वह यह भी जान गई है कि वह कोई अपराधी नहीं है. उसे फंसाया गया है. पकड़ लिया गया तो सलाखों के पीछे चला जाएगा. चक्रव्यूह ऐसा बनाया गया है कि वह न बच पाए.

यही वह नहीं चाहती है.

वह चाय पीते हुए उसे कभी कभी गौर से तो कभी उड़ती निगाह से देख लेता है.

वह जनता है कि उसे उसकी ही तलाश है. अभी पहचान ले तो गिरफ्तार कर लेगी.

वह सोचता है कि क्या यह हकीकत नहीं जानती? जानती है तो फिर मुझे क्यों गिरफ्तार करना चाहती है? नौकरी के लिए? ड्यूटी करनी है.

– उसे नहीं पकड़ पाई तो नौकरी चली जाएगी? अचानक उसने कहा तो वह उसे देखने लगा. उसकी बात सुनने लगा. उधर वह उदास हो गई थी. ऐसा उसे लगा. उसके सहकर्मी कुछ नहीं बोले.

– नौकरी भी न कितनी जरूरी होती है. पेट पालने के लिए. परिवार चलाने के लिए. इसके उसके सपने पूरे करने के लिए. खुद के जीने के लिए. उसने खुद से कहा लेकिन इतनी जोर से कहा कि वह सुन ले.

उसने सुन भी लिया.

– क्या नौकरी इतनी जरूरी है? उसने चाय के कप को ज़मीन पर रखते हुए कहा.

– नौकरी की है? उसने उलाहना वाले अंदाज में पूछा.

– मिली नहीं. उसने बेहद ठंडा जवाब दिया.

– मिली नहीं कि कोशिश नहीं की?

– नहीं मिली तो यही समझा जाय कि कोशिश नहीं की.

– कोशिश सफल हो जाय यह कहां जरूरी है? उसने चाय का कप दूर फेंकते हुए कहा.

– जो सफल नहीं उसकी कौन सुनता है. कौन मानता है?

– सही है.

– उसे पकड़ना आपके लिए बहुत जरूरी है?

उसने उसे देखते हुए कहा. उसने भी उसे गौर से देखा. दिल की धड़कने बढ़ गईं. दिमाग़ में तेज हलचल होने लगी.

उसका हाथ अपनी बनावटी दाढ़ी पर चला गया.

यह देख वह सिहर गई.

हाथ के इशारे से मना किया और तेजी से उठकर चली गई.

उसके पीछे उसके सहकर्मी भी चले गए.

उसका हाथ दाढ़ी को सहलाने लगा.

वह हाथ हिलाकर बाय बोलना चाहता था पर नहीं किया. मुस्कुराना चाहता था पर नहीं मुस्कुराया.

उसका दिल मुस्कुरा रहा था और उसका बहुत तेज धड़क रहा था..