मनजीत ख़ान भावङिया की कविता

जीवन के रंग 

(मनजीत ख़ान भावङिया)

 

अगर कोई चीज़ रंगहीन है,

तो तुम्हारा जीवन रंगहीन हो जाता है,

आकाश में इंद्रधनुष के अद्भुत रंग,

 वे आपकी आंखें खुली रखते हैं,

 हम सभी को

 वे रंग पसंद होते हैं।

 रंगों का एक कारण है,

वे हर अवसर पर सदैव उपलब्ध रहते हैं,

जब तुम पैदा हुए थे,

तुम्हारा रंग गुलाबी था,

आपके अम्मी-अब्बा की

आँखें ख़ुशी से चौड़ी हो गई थी

खुशी के आंसू निकले

चौधर एक कदम और आगे बढ़ गई ।

 जब तुम बच्चे थे,

तो रंग हरा था,

 तुम खेल के मैदान में जाओ

और चिल्लाओ

मैं आ गया हूं मेरे साथ कौन-कौन खेलेगा।

जब तुम छोटे थे,

रंग लाल था,

घबराता नहीं था परन्तु

आप अपने सपनों की लड़की को गुलाब देने से डरते हैं

जब आप अपनी जवानी से आगे निकल जाते हैं,

तो रंग नीला होता है,

जब जीवन आपको संकेत देता है,

तो आप दुनिया को चुनौती देने निकल पड़ते हैं।

 जब तुम्हारी शादी होगी तो

 रंग सुनहरा होगा,

 आपको यह विश्वास दिलाने के लिए कि आप ज्यादा बूढ़े नहीं हैं

आपमें अभी ताकत बची है

जब आप मध्यम आयु के होते हैं,

तो रंग पीला होता है,

जब आप खुशमिजाज कहलाना पसंद करते हैं।

 जब आप समझदार हो जाते हैं,

तो रंग चांदी जैसा हो जाता है

आप स्वयं को बुद्धिमान तभी बना सकते हैं

 जब आपने दुनिया को पर्याप्त रूप से देखा हो।

दुनियादारी की समझ आ जाती है

जब तुम निकलते हो तो

रंग काला होता है,

आपके प्रियजन आपको याद करेंगे, यही बात वे याद रखेंगे।

काला रंग जीवन जीने का तरीका बताता है

आप अपने जीवन के रंग नहीं चुनते,

 निश्चिंत रहो,

वे आएंगे,

 तुम्हें बताने के लिए कि तुम क्या हो।