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विजय शंकर पांडेय का व्यंग्य- लोकतंत्र अब स्टार्टअप बन चुका है? 

आवारा पूंजी के खतरे क्या लोकतंत्र अब स्टार्टअप बन चुका है? विजय शंकर पांडेय परसाई जी आवारा भीड़ के खतरों…

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विजय शंकर पांडेय का व्यंग्य – क्या हंसने पर भी ‘लाफ्टर टैक्स’ देना पड़ेगा?

क्या हंसने पर भी “लाफ्टर टैक्स” देना पड़ेगा? विजय शंकर पांडेय दुनिया में अगर कोई शख्स टैरिफ लगाने की कला…

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अजय शुक्ला की बेतुकी बातें 6 – सिरम्मन की थोड़ी सी पत्रकारिता

बेतुकी बातें: 6- सिरम्मन की थोड़ी सी पत्रकारिता अजय शुक्ला   सिरम्मन: सोचता हूं कि आज थोड़ी पत्रकारिता कर लूं….…