अजय शुक्ल की ‘बेतुकी बातें’ – कौआ और कोयल

बेतुकी बातें

कौआ और कोयल

अजय शुक्ल

कौआ: कांव कांव कांव

कोयल: बड़ा चहक रहे हो काकराज! कोई मोटा चूहा जीमने को मिल गया क्या?

कौआ: मैं शाकाहारी कौआ: अपने होने का।

कोयल: कौआ होने का?

कौआ: हां, कौआ होने का।

कोयल: इसमें गर्व की क्या बात है? इस धरती में कोई कौआ होता है तो कोई तोता। कोई गधा होता है तो कोई सुअर। कोई शेर तो कोई हिरन। किसी के पास ऐसा कोई ऑप्शन नहीं होता कि वह मुर्गी के अंडे से निकले कि बकरी के। आप जो होते हैं गर्भ से होते हैं।

कौआ: लेकिन मैं जो हूं गर्व से हूं।

कोयल: कुछ समझ में नहीं आ रहा। गर्व..गर्व..गर्व! मुझे समझाओ।

कौआ: तुम जानती हो कि मैं किसका वंशज हूं?

कोयल: मैं क्या जानूं! तुम ही बता दो। मैं तो अपने मा बाप को ही भूल चुकी हूं।

कौआ: तो सुन, मैं काकभुशुण्डि का वंशज हूं। जानती हो वे कौन थे?

कोयल: क्यों नहीं जानती? रामायण पढ़ी है मैंने। तभी तो मैं डाल-डाल फुदकते हुए राम का नाम ही लिया करती हूं। कोयलों की ज़बान में कुहूकुहू का मतलब राम राम ही होता है।

कौआ: मैं तो समझता था कि मिलन की बेताबी में तू कुहूकुहू बोलकर आशिक को बुलाती है?

क्षेत्रीय

कोयल: वाह रे राम भक्त काकभुशुण्डि के वंशज! तुझे हर बात में गंदगी ही दिखती है। बने फिरते हैं एक ऋषि के पोते। मुझे तो लगता है कि तू जयंत की संतान है।

कौआ: ये जयंत कौन?

कोयल: अरे पाखंडी, तूने रामायण नहीं पढ़ी क्या?  चट ओ

कौआ: न भाई न। मैंने तो बस राम को जानता हूं।

कोयल: हद हो गई! जिस काकभुशुण्डि ने संसार को रामकथा दी उसकी संतान कहती है कि उसने रामायण नहीं पढ़ी!!

कौआ: अब जो है तुम्हारे सामने है। जयंत के बारे में बता दो।

कोयल: जयंत ने वन में सीता माता के पांव में चोंच मारी थी। ज्यादा जानना हो तो चित्रकूट में स्फटकशिला देख आना। या रामायण पढ़ लेना। वैसे यह तो बता कि तुझे यह कैसे पता चला कि तू काकभुशुण्डि की संतान है?

टट

कौआ: आज ही सुबह एक चूहे ने बताया था।

कोयल: मतलब तेरे शिकार ने? और तू उसे मारकर खा गया?

कौआ: अरे सुनो तो! हुआ यह कि सुबह मैं कूड़े घर के ऊपर भोजन की तलाश में मंडरा रहा था। जैसे ही एक लड़के ने चूहेदान को खोला मैं भयभीत नन्हे जीव पर झपट पड़ा।

कोयल: फिर?

कौआ: मैं पंजे में छटपटाते चूहे की छाती में अपनी चोंच भोंकने ही वाला था कि वह चींचीं करने लगा।

कोयल: क्या?

कौआ: चींचीं करते हुए वह बोला: आप रामकथा मर्मज्ञ काकभुशुण्डि के कुल के हैं… मांसाहार करना आपको शोभा नहीं देता…ऋषि काकभुशुण्डि क्या मांसाहार कर सकते थे?

कोयल: तुमने क्या कहा?

कौआ: मैंने चूहे से पूछा: तो मैं क्या खाऊं? चूहे ने फल खाने को कहा और मैं आम खाने तुम्हारे बगल में आ गया। ऑ

कोयल: यार तुमको सबसे अधिक बुद्धिमान प्राणी माना जाता है। लेकिन एक अदना सा चूहा तुमको उल्लू बना गया!

कौआ: मैं कुछ सोचने की हालत में न कर रहीं हूं। बहुत भूख लगी है। कोई मीठा आम दिखे तो बताना।