वीटा मिल्क प्लांट कर्मचारी यूनियन के पूर्व राज्य अध्यक्ष का भगवत स्वरूप शर्मा
हरियाणाः जूझते जुझारू लोग- 31
कामरेड भगवत स्वरूप शर्माः कर्मचारियों की हक की लड़ाई के योद्धा
सामाजिक कार्यकर्ता और वीटा मिल्क प्लांट कर्मचारी यूनियन अंबाला के प्रधान और बाद में राज्य के प्रधान बने कॉमरेड भगवत स्वरूप शर्मा का जन्म 1951 में अंबाला जिले के शाहपुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिताजी जहाँ राष्ट्रीय स्वंय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय नेतृत्वकारी कार्यकर्ता थे। वहाँ भगवत स्वरूप शर्मा ने साम्यवादी विचारधारा को अधिक बेहतर समझा और वे आज तक उस पर अटल हैं। वे कामरेड बलवीर सिंह सैनी एडवोकेट के निर्देशन में मज़दूरों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे ।
वे वीटा मिल्क प्लांट अंबाला शहर में बतौर क्लर्क नियुक्त हुए और शीघ्र अकाउंट-असिस्टेंट बन गए । लेकिन इसी दौरान 1976 में वे वीटा मिल्क प्लांट-अम्बाला यूनिट के प्रधान नियुक्त हुए । इस समय अंबाला, भिवानी, जींद और रोहतक में वीटा मिल्क प्लांट के यूनिट्स थे । 1976 में कामरेड भगवत स्वरूप के निर्देशन में 4 दिन की हड़ताल की गई और कामरेड भगवत को सस्पेंड होना पड़ा ।
उनका संघर्ष एमरजेंसी के दोरान भी चलता रहा । इस समय में उन्होंने कर्मचारियों को संगठित और प्रेरित किया ताकि आने वाले दिनो में लड़ाई को तेज किया जा सके। 1978 में 15 दिन की हड़ताल कर्मचारियों को रेगुलर करने के लिए की गयी । 1979 में हरियाणा राज्य के स्तर पर तीन महीने की हड़ताल हुई,जिसमे फ़रीदाबाद, हिसार और सिरसा के यूनिट्स ने भी भाग लिया । इस हड़ताल में उन्हें जेल भी जाना पड़ा ।
इसी वर्ष 1979 में उन्हें वीटा मिल्क प्लांट कर्मचारी यूनियन हरियाणा का राज्य अध्यक्ष बना दिया गया। संघर्ष के दौरान कामरेड बलबीर सिंह सैनी, बलवन्त सिंह, गुरदीप सिंह ,राजेंद्र शर्मा,सेवा सिंह , जयप्रकाश शर्मा तथा सभी कर्मचारियों ने उनका पूर्ण सहयोग दिया। इसी संघर्ष के दौरान वीटा मिल्क प्लांट यूनियन को सर्व कर्मचारी संघ का साथ मिल गया । इस लड़ाई में वे कुलभूषण आर्य, हरीराम शर्मा और ओमप्रकाश बूरा जैसे कर्मचारी नेताओं के साथ जेल में रहे । उनका यह संघर्ष हरियाणा के मुख्यमंत्री देवीलाल के शासन काल के दौरान हुआ। उन्हें सस्पेंड भी किया गया और दूसरे जिलों में ट्रांसफर भी । लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
कामरेड भगवत स्वरूप ने जहाँ वीटा मिल्क प्लांट के कर्मचारियों की समस्याओं के लिए संघर्ष किया वहाँ उन्होंने इस क्षेत्र में काम कर रहे फैक्ट्री-मजदूरों और कर्मचारियों के लिए भी लंबी लड़ाई लड़ी । एच.एम.एम.कोच फैक्ट्री अंबाला, ओरिएंटल साइंस इंडस्ट्री,अंबाला छावनी, बैंक कर्मचारी यूनियन, जीवन बीमा निगम यूनियन, एम.आर. यूनियन, भारत गैस यूनियन, स्वास्थ्य नर्स यूनियन आदि कर्मचारी यूनियनों को नेतृत्व प्रदान किया । इन लड़ाइयों को लड़ते हुए उन्हें समस्त कर्मचारियों का भरपूर समर्थन और सहयोग मिला। विशेषकर कामरेड बलवीर सिंह सैनी का उन्हे सबसे अधिक सहयोग मिला ।
असल में सारा संघर्ष तो उन्ही के मार्गदर्शन में ही हुआ। अन्य सहयोगी साथियों में– कामरेड आर के गुलाटी, सुजाय कुमार, बी एम सरहदी, बी एम शर्मा, सतीश बहादुर, डी एन शर्मा , एमसी भसीन, राजकुमार, जी.एस. ओबरॉय, सेवा राम, नर सिंह कुमार, गुरमीत सिंह, आत्मा सिंह, जयपाल, मोहनस्वरूप आदि साथियों का भी भरपूर सहयोग मिला।
इस समय के दोरान वे भगत सिंह शहीदी दिवस, भगत सिंह जन्म दिवस, मजदूर दिवस, अक्तूबर क्रांति दिवस आदि पर कार्यक्रम भी आयोजित करते रहे । जन संघर्ष मंच कुरुक्षेत्र और जनचेतना मंच गोहाना में भी वे बहुत सक्रिय रहे। कुरुक्षेत्र रेलवे-स्टेशन के पास शहीदे आजम भगत सिंह की विशाल प्रतिमा स्थापित करने में कामरेड भगवत स्वरूप का महत्वपूर्ण योगदान रहा । इस अभियान में उन्होंने कामरेड श्याम सुंदर के साथ मिलकर काम किया।
इस समय अस्वस्थ होने के कारण वे अधिक सक्रियता के साथ काम नहीं कर सकते लेकिन मार्क्सवादी अध्ययन, विचार-चर्चा और स्थानीय साहित्यिक/राजनीतिक/सामाजिक/आर्थिक और सांस्कृतिक संवाद गोष्ठियो में वे लगातार भाग लेते रहते हैं। किसी समस्या आने पर आज भी कर्मचारी संगठन उनसे सलाह मशविरा करते रहते हैं। हम उनके उत्तम स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करते हैं।

लेखक – जयपाल

“संघर्ष उनका धर्म था, विचार उनका जीवन — भगवत स्वरूप शर्मा ने सिद्ध किया कि श्रम केवल रोटी का नहीं, अस्मिता का प्रश्न है।”
“उन्होंने हड़तालों को विद्रोह नहीं, चेतना का पाठशाला बनाया; कर्मचारी एकता को दर्शन बना दिया।”
“ऐसे कामरेड स्मरण कराते हैं कि विचारधारा जब कर्म बनती है, तभी इतिहास रचती है।”
कामरेड भगवत स्वरूप जी बेहद जुझारू साथी हैं ,वे भले ही अस्वस्थता के कारण मजदूर आंदोलन में शामिल नहीं होते लेकिन वैचारिक रूप से सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते रहते हैं
भगवत स्वरूप शर्मा की पारिवारिक और ट्रेड यूनियन आंदोलन की गतिविधियों की महत्वपूर्ण जानकारी अपने संक्षिप्त आलेख में वरिष्ठ कवि जयपाल जी ने बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत की है। इसे पता चलता है कि हरियाणा में पिछले 40-45 साल के दरमियान कर्मचारियों और अध्यापक के आंदोलन किस तरह से संगठित किए गए, चलाए गए, लड़े गए और जीते गए। उनकी इस जीत के पीछे उनके मेहनत और बलिदान भी बहुत बड़े हैं। कुछ आंदोलन कर्मियों को तो इसमें जान भी गंवानी पड़ी है? जयपाल का ये आलेख और सत्यपाल सिवाच के अब तक प्रकाशित 70 आलेख उसे संघर्ष के दौर के ऐतिहासिक समय को रेखांकित और लिपि बद्ध तो करता ही है, साथ में ऐसा दस्तावेज भी बन जाता है जिससे कर्मचारी और मजदूरों की आने वाली पीढ़ियां भी प्रेरणा लिया करेंगी, कुछ ऐसे ही अंदाज में जैसेकि संघर्ष करने वाले इन कर्मचारियों और मजदूर नेताओं ने देश की आजादी के आंदोलन से प्रेरणा लेकर ये आंदोलन लड़े हैं और उसे संघर्षशील परंपरा को जारी भी रखा है और कुछ परिवर्तित रूप में आगे भी बढ़ाया है। उन्होंने आंदोलन के ज़रिए अपने साथियों को शिक्षित करने का काम भी किया है जिसके बिना कोई लड़ाई जितिन नहीं जा सकती है।-ओम सिंह अशफ़ाक, कुरुक्षेत्र, हरियाणा,भारत।