अमेरिकाः उदार लोकतंत्र और वैश्विक शांति का सबसे बड़ा दुश्मन 

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मुनेश त्यागी

पूरी सोशल मीडिया पर छाया हुआ है कि अमेरिका ने ईरान पर एक तरफ हमला कर दिया है। वहीं पर सवाल उठ रहा है कि यह हमला क्यों किया गया है? ईरान ने अमेरिका का क्या बिगाड़ा है? लड़ाई तो इजराइल और ईरान के बीच चल रही थी, अमेरिका बीच में क्यों कूद पड़ा? हकीकत यह है कि यह हमला इजराइल और ईरान के बीच में नहीं था। इजराइल तो अमेरिका का पिट्ठू है। लड़ाई तो पीछे से अमेरिका लड़ रहा है। सारे हथियार और पैसा सब कुछ अमेरिका मोहैय्या कर रहा है। अमेरिका सब तरह से इजराइल की मदद कर रहा था। ईरान अमेरिका के कब्जे में नहीं आ रहा था क्योंकि अमेरिका पश्चिम एशिया के तेल उत्पादक देशों पर पूर्ण नियंत्रण चाहता है जिसका ईरान विरोध कर रहा था। इसीलिए ईरान को सबक सिखाने के लिए, उसे डराने के लिए और पश्चिम एशिया के सारे तेल उत्पादक देशों पर अपना पूर्ण नियंत्रण कायम करने के लिए और ईरान को रास्ते से हटाने के लिए, यह हमला किया गया है।

अधिकांश नाटो देश भी इजराइल की सब तरह से मदद कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि जैसे इजराइल ने फिलीस्तीन, सीरिया, यमन और लेबनान को मात दे दी थी, वैसे ही वह ईरान को भी मात दे देगा, पर ईरान की सही तैयारियों का पता उन्हें नहीं चल पाया। ईरान ने इस लड़ाई में इजराइल का मुंह तोड़ जवाब दिया। उसके सैनिक ठिकानों, हथियार डिपो और दूसरी प्रमुख बिल्डिंगों को निशाना बनाया और उन्हें बुरी तरह से तबाह कर दिया, जैसे इजराइल के परखच्चे उड़ गए।

दुनिया में सारे युद्ध उन्मादियों, हथियार उत्पादकों और दुनिया की अमन शांति के दुश्मन अमेरिका को यह सब अच्छा नहीं लगा। पूरी दुनिया में उसकी साख गिरने लगी और उसका मजाक उड़ाया जाने लगा। ईरान से युद्ध के लिए उसने 15 दिन का समय लिया और ईरान से युद्ध विराम की बात भी जारी रखी। मगर पहले की तरह पूरी दुनिया और ईरान को धोखा देते हुए, बिना किसी उकसावे के, अमेरिका ने ईरान पर एक तरफ हमला कर दिया, जो ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा पर गंभीर खतरा है और यूएनओ और अंतरराष्ट्रीय कानून का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है।

अमेरिका के इन एकतरफा हमलों ने पूरी दुनिया को बता दिया है कि अमेरिका यूएनओ, अंतरराष्ट्रीय कानून, वैश्विक नैतिकता और वैश्विक शांति का सबसे बड़ा दुश्मन और गैर जिम्मेदार मुल्क है। वैसे यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी सैकड़ों साल से अमेरिका झूठ बोलकर और पूरी दुनिया को गुमराह करके, दुनिया के बहुत सारे देशों पर हमले कर चुका है और उन्हें तबाह कर चुका है और उनके प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने के लिए हमले कर चुका है और करोड़ों लोगों को मौत के घाट उतार चुका है। आज वह दुनिया का सबसे बड़ा हत्यारा मुल्क बनकर दुनिया के सामने है।

साम्राज्यवादी अमेरिका इससे पहले भी दूसरे विश्व युद्ध के बाद अनेकों देशों पर हमले कर चुका है जिनकी सूची इस प्रकार है- 1.जापान, 2.कोरिया, 3.ग्वाटेमाला, 4. इंडोनेशिया, 5.क्यूबा, 6.कांगो, 7.लाओस, 8.वियतनाम, 9.कंबोडिया, 10.ग्रेनेडा, 11.लेबनान, 12.लीबिया, 13.अल सल्वा डोर, 14.निकारागुआ, 15.ईरान, 16.पनामा, 17.इराक, 18.कुवैत, 19.सोमालिया, 20.बोस्निया, 21.सूडान, 22.अफगानिस्तान, 23.यमन, 24.पाकिस्तान और 25.सीरिया। इससे पहले भी अमेरिका 26.स्पेन, 27.क्यूबा, 28.फिलीपींस, 29.पनामा, 30.हैती, 31.डोमिनिकन रिपब्लिक, 32.निकारागुआ, 33.ग्रीनलैंड, 34.आइसलैंड, 35.जापान, 36.ग्रीस, 37.ईरान, 38.ग्वाटेमाला, 39.चिली, 40.ग्रेनाडा, 41.सर्बिया, 42.सीरिया, 43.यूक्रेन, 44.वेनेजुएला, 45.हवाई दीप पर भी एक तरफा हमले कर चुका है।

इस लंबी सूची को देखकर पूरी दुनिया बड़ी आसानी से यह देख सकती है कि दुनिया के लिए असली खतरा कौन है? अमेरिका अपने को “दुनिया का रक्षक” बताता आया है। अब कोई बताए कि अमेरिका ईरान के खिलाफ एक तरफा और मनमानी बमबारी करके कौन सी दुनिया की रक्षा कर रहा है? ईरान ने इजराइल या अमेरिका पर पहले कोई हमला नहीं किया है तो फिर अमेरिका एकतरफा हमला करने पर क्यों उतर आया है? इससे पहले उसने इजराइल द्वारा ईरान पर किए गए एकतरफा हमले का विरोध क्यों नहीं किया, क्योंकि वह हमला एकदम से ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा था।

यह सब दिखाता है कि अमेरिका अपने चंद पूंजीपति घरानों के साम्राज्यवादी लुटेरे मनसूबों के तहत, उनके मुनाफों को बढ़ाये रखने के लिए, पूरी दुनिया के संसाधनों पर कब्जा करने के लिए और भूराजनीतिक नियंत्रण और अपने साम्राज्यवादी हितों को सुरक्षित रखना चाहता है। वह पूरी दुनिया पर अपना राजनीतिक, आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक प्रभुत्व कायम करना चाहता है। उसका किसी देश या दुनिया की जनता के विकास और मानवीय अधिकारों को बनाए रखने में कोई विश्वास नहीं है। वह “मुक्त दुनिया का रक्षक” नहीं, बल्कि मानवीय अधिकारों, सच्चे लोकतंत्र, यूएनओ, अंतरराष्ट्रीय कानून, वैश्विक नैतिकता और विश्व शांति का सबसे बड़ा दुश्मन बनकर, पूरी दुनिया के सामने आ गया है।

अमेरिका की युद्धोन्मादी और साम्राज्यवादी वर्चस्व को बनाए रखने वाली हवस की नीतियां अब जगजाहिर कर रही हैं कि अपने वैश्विक प्रभुत्व के मनसूबों, नीतियों और हितों को छोड़कर, उसका किसी नियम, कानून, मानवीय मूल्यों, नैतिकता और मर्यादा में विश्वास नहीं है। अमेरिका की साम्राज्यवादी मुनाफाखोर और वैश्विक वर्चस्ववादी नीतियां आज दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर, पूरी दुनिया के सामने हैं। अब पूरी दुनिया के सामने इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है कि वे सब एकजुट होकर, अमेरिका के साम्राज्यवादी युद्धोन्मादी और मुनाफाखोर मनसूबों का संयुक्त रूप से मुकाबला करें और उन्हें स्थाई रूप से मात दें।

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