रत्न कुमार जिन्दलः बहुमुखी प्रतिभा के धनी आंदोलनधर्मी कर्मचारी नेता

हरियाणाः जूझते जुझारू लोग -51

रत्न कुमार जिन्दलः बहुमुखी प्रतिभा के धनी आंदोलनधर्मी कर्मचारी नेता

रत्न कुमार जिन्दल बहुमुखी प्रतिभा का धनी होने के साथ ही आंदोलनधर्मी कर्मचारी नेता रहे। उन्होंने कर्मचारी संगठनों में विभिन्न पदों पर काम किया और उनकी सक्रियता और प्रतिभा का दायरा कर्मचारी नेता से आगे बढ़कर सृजनशील व्यक्तित्व का रहा है। रत्न कुमार जिन्दल का जन्म 18 फरवरी 1958 को तत्कालीन हिसार जिले (अब भिवानी) के गांव मित्ताथल में श्री चन्दगीराम और श्रीमती शान्ति देवी के यहाँ हुआ। उनके पिताजी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। इसलिए बेटे पर सार्वजनिक जीवन में काम करने का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था। वे दो भाई और चार बहनें हैं। उन्होंने सन् 1974 में गांव के स्कूल से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण की। इससे पहले वे प्राथमिक कक्षाओं में ढिगावा में पढ़ते थे जहाँ उनके पिताजी दुकान चलाते थे। 30 मार्च 1977 को वे नियमित आधार पर सिंचाई विभाग में क्लर्क भर्ती हो गए। उन्होंने नौकरी करते हुए इवनिंग कॉलेज भिवानी (एम.डी.यू.) से ग्रेजुएशन की। वे 29 फरवरी 2016 को सुपरिटेंडेंट राजपत्रित श्रेणी-2 पद से सेवानिवृत्त हुए।

रत्न कुमार जिन्दल का कर्मचारी यूनियन से संपर्क 1980-81 में सिरसा में रहने के दौरान हुआ। वहाँ पर सिंचाई विभाग में राजेन्द्र अहलावत पहले से ही सक्रिय थे। उनके अलावा एडीओ बलजीत सिंह नरवाल, जे.पी.पांडेय और विशेषकर सीटू नेता अवतार सिंह का उनके व्यक्तित्व पर विशेष प्रभाव पड़ा। वहाँ सिरसा कर्मचारी संगठन की गतिविधियों में हिस्सा लेने लगे। जब 1986-87 में सर्वकर्मचारी संघ बना तो स्वाभाविक ढंग से उसका हिस्सा बन गए।

वहीं रहते हुए ‘डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया’ में काम करने लगे और साइकिल-जत्थे में शामिल हुए जिसमें अनेक रोचक अनुभव हुए। सन् 1987 में भिवानी आ गए थे। जब 1990-93 तक साक्षरता अभियान चला तो उसमें सक्रिय हो गए। इसी दौरान अपने गांव में कार्य कर रहे युवा संगठन ‘डी वाई एफ आई’ बनाया।

वे शुरू में 1982 में सिंचाई विभाग मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन के यूनिट ज्वाइंट सेक्रेटरी, सचिव व प्रधान के रूप में सक्रिय हुए थे। बाद में 22 जून 1996 से 24 सितंबर 2005 तक महासचिव, 05 दिसंबर 2009 से अप्रैल 2016 तक अध्यक्ष और 09 अप्रैल 2016 को चेयरमैन रहे।

वे सन् 2002 में गठित सिंचाई विभाग कर्मचारी संघ के सह-संयोजक और 2005 में संयोजक बनाए गए और हरियाणा के सभी विभागों को मिलाकर गठित ‘हरियाणा मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन’ में नेतृत्वकारी साथियों में शामिल रहे। वे भिवानी जिला सर्वकर्मचारी संघ के कैशियर और प्रधान पदों पर रहे। वे 2001, 2003 और 2010 में संघ में भी राज्य स्तर पर ऑडिटर व 2005 में सचिव पद पर चुने गए। रत्न कुमार जिन्दल उस समय महासंघ के साथ बने और ‘तालमेल कमेटी’ के सदस्य भी रहे।

उन्हें 2016 में भिवानी जिले में ‘जन शिक्षा अधिकार मंच’ का संयोजक बनाया गया। उन्होंने ‘हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति’ में शुरू से ही काम किया। अब सीटू में काम करने के साथ-साथ ‘रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा’ के महासचिव हैं। रत्न कुमार जिन्दल भिवानी शहर में वर्षों से गठित ‘जनसंघर्ष समिति’ में भी सक्रिय रहे हैं।

रत्न कुमार जिन्दल सन् 1998 में जब सर्वकर्मचारी संघ हरियाणा की केन्द्रीय कमेटी के पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया तो उस समय वे भी चार दिन हिसार जेल में रहे। यद्यपि 1993 के आन्दोलन में उन्हें बर्खास्त किया गया था लेकिन सम्बन्धित शाखाओं के बाबुओं की हड़ताल के कारण ये आदेश प्राप्त नहीं हुए। समझौते के बाद सभी को बहाल कर दिया गया।

उन पर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड पर हुए आन्दोलन में मुकदमा दर्ज हुआ था जो कई साल तक चलता रहा। सन् 2018 में भी उन पर मुकदमा दर्ज हुआ।

जिन्दल की रुचियों का फलक बड़ा रहा है। उन्होंने साक्षरता अभियान में कविताएं और नाटक लिखे। समूह गान और नाटकों में भाग लिया। वे ‘एशियन सोशल फोरम’ के हैदराबाद और ‘विश्व सोशल फोरम’ के मुम्बई आयोजन में सम्मिलित हुए। इसके अलावा उन्होंने विभागीय खेलों में भी भाग लिया। रत्न कुमार जिन्दल प्रगतिशील, वैज्ञानिक और जनतांत्रिक विचारों के धनी है। इसी वजह से उनकी पत्नी सुनीता भी ‘जनवादी महिला समिति’ और वामपंथी आन्दोलन से जुड़ी रहीं हैं। कई साल पहले बीमारी के कारण वे चल बसीं। उनका एक बेटा और बेटी हैं। दोनों विवाहित हैं।(सौजन्य: ओम सिंह अशफ़ाक)

लेखक: सत्यपाल सिवाच

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