ओमसिंह अशफाक की कविता

ओमसिंह अशफाक

कठौती में गंगा है!

बाकी सब तो ‘चंगा’ है !

बस राजा उनका नंगा है!

 

गंगा में उसे मिले शांति,

पर मन में उसके दंगा है!

 

अच्छे दिन तो हुए हवाई,

अब आगे पंगा-ही-पंगा है!

 

मन के भीतर मैल ना हो तो,क

ठौती में समझो तो गंगा है!

 

कैसे पहुंचेगा बोधगया तू,

जब मन में तेरे ‘दरभंगा’ है!

 

मन से छल़-बल़ गया नहीं,

तो सूट-बूट में भी नंगा है!