कठौती में गंगा है!
बाकी सब तो ‘चंगा’ है !
बस राजा उनका नंगा है!
गंगा में उसे मिले शांति,
पर मन में उसके दंगा है!
अच्छे दिन तो हुए हवाई,
अब आगे पंगा-ही-पंगा है!
मन के भीतर मैल ना हो तो,क
ठौती में समझो तो गंगा है!
कैसे पहुंचेगा बोधगया तू,
जब मन में तेरे ‘दरभंगा’ है!
मन से छल़-बल़ गया नहीं,
तो सूट-बूट में भी नंगा है!