कविता
लम्बे बालों वाला एक कवि
राजकुमार कुम्भज
_______
लम्बे बालों वाला एक कवि
किसी दूसरे गंजे कवि की ओर
उसका गंजत्व देख-देख हॅंसता है
और दिसम्बर में ही
अप्रैल-मई हो जाता है
गाता है भॅंग-राग
अभॅंग की जगह
रोटी को रौंदता है पैरों तले
और चमकदार जूते
रख लेता है सिर ऊपर
लम्बे बालों वाला एक कवि
कुछ इस तरह भी
समकालीन हिंदी कविता का
एक महत्वपूर्ण और पूर्णकालिक
मौलिक हस्ताक्षर हो जाता है
और फिर इधर-उधर से
और पता नहीं किधर-किधर से
टोकरी भर-भर पुरस्कार पाता है
लम्बे बालों वाला एक कवि ही
सुकोमल कवि कहलाता है
तुम क्या कवि कहलाओगे साले चूतिए
एक बाल तक तो बचा नहीं सके
कल से आज तक ख़ुद की खोपड़ी का
कविता क्या ख़ाक़ बचाओगे ?
