- गुरप्रीत जीपी, चब्बेवाल और बिट्टू के जाने से पार्टी में हड़कंपप्रदेश प्रधान की कमजोरी साबित हो रहा पार्टी का वर्चस्व
पंजाब कांग्रेस के नेताओं के लगातार पार्टी छोड़ने बारे अलग-अलग कारण देखे जा रहे हैं लेकिन पार्टी हाईकमान प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की क्षमता को भी तोलने लगा है।
प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, पार्टी में बिखराव को प्रदेश प्रधान की कमजोरी और पार्टी में लंबे समय से चली आ रही धड़ेबंदी के नतीजे के रूप में देखा जा रहा है।
हाल के दिनों में पूर्व विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी, उनके बाद मौजूदा विधायक और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजकुमार चब्बेवाल और अब लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का पार्टी छोड़ जाना प्रदेश कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है।
जीपी और बिट्टू भाजपा में शामिल हो गए हैं जबकि चब्बेवाल ने आम आदमी पार्टी (आप) का दामन थाम लिया है। यह सब कुछ ऐसे समय में हो रहा है जब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और कांग्रेस पंजाब में अपने संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाने में व्यस्त है।
दो दिन पहले ही प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की अध्यक्षता में सीनियर नेताओं की बैठक हुई, जिसमें आगामी चुनावों की रणनीति पर चर्चा की गई थी।
एक तरफ तो कांग्रेस 13 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, दूसरी तरफ उसके सीनियर नेता ही पार्टी से किनारा कर रहे हैं। उपरोक्त नेताओं के बाद इस समय भी दो ओर नेताओं के जल्दी ही पार्टी को अलविदा कहने की चर्चा जोरों पर है।
उधर, कांग्रेस हाईकमान यह मानने लगा है कि सीनियर नेताओं के बीच राजा वड़िंग कोई प्रभावशाली भूमिका निभाने में सफल नहीं हुए।दरअसल, पंजाब में कांग्रेस के लिए यह दूसरा खराब समय है क्योंकि विधानसभा चुनाव के बाद भी करीब 20 छोटे-बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
राज्य में मुख्य विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस उस झटके को तो पचा गई लेकिन जालंधर लोकसभा चुनाव में सुशील कुमार रिंकू के आप में शामिल होने से पार्टी को पहला बड़ा झटका लगा था।
अब लोकसभा चुनाव की तैयारी के ऐन मौके पर आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मुद्दे ने पंजाब कांग्रेस की धड़ेबंदी को उजागर कर दिया।
राजा वड़िंग ने जहां पार्टी हाईकमान की तर्ज पर केजरीवाल की गिरफ्तारी को गलत ठहराया वहीं रवनीत बिट्टू और सुखपाल खैरा ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही करार दिया।
प्रदेश प्रधान के नाते राजा वड़िंग पार्टी में एकमत बनाए रखने में विफल रहे। वहीं, अन्य नेता इस मामले में चुप्पी साधे रहे और उन्होंने न राजा वड़िंग के रुख का समर्थन किया और न ही विरोध।