मंजुल भारद्वाज की कविता – जवानी

कविता

जवानी

– मंजुल भारद्वाज

जवानी जुनून है

अमूर्त ख्वाबों को मूर्त करने का !

यथार्थ से जूझकर

थक चुकी पीढ़ी के अधूरे सपनों को

साकार करने का !

जवानी बेलाग हौसला है

अपने तसुव्वर को

दुनिया में उतारने का !

जवानी नव चैतन्य है

दुनिया के 

अतीत और आईन को

वर्तमान में लिखती तहरीर है !

जवानी उमंग है

उफ़नते समंदर की तरंग है !

किसी में समा जाने

और

किसी को अपने भीतर

समा लेने का जज़्बा है !

जवानी अनकही

मंज़िल की यात्रा का

अटूट संकल्प है !

जवानी दीवानी है

तो

जवान विवेकशील चेतना !

जवानी भावनाओं का सैलाब है

तो

जवानी विचारों की समाधि !

जवानी लहर है

तो

जवान साहिल !

जवानी समंदर है

तो

जवान उसकी गहराई !

जवानी संजीदा है

तो

जवान उसका मर्म !

जवानी इश्क़ है

तो

जवान परवाना !

जवानी भविष्य को

जन्म देने वाली जननी

तो

जवान भविष्य का सृजनकार !