कविता
नाता एक डोर है!
मंजुल भारद्वाज
नाता एक डोर है
तेरा मेरा एक छोर है!
एक ख़्वाब का अर्श है
तेरा अनमोल स्पर्श है
नाता एक डोर है।
लोरियां मेरा गीत हैं
तू मनप्रीत है
तू जगजीत है
नाता एक डोर है
धूप और छांव है
सपनों का गांव है
नाता एक डोर है।
हरियाली का संग है
खुशबू हर अंग है
मन एक अभंग है
नाता एक डोर है।
कल जो आज है
कल जो कल है
यह कलकल स्वर अनंत: है
नाता एक डोर है
सपनों की भोर है
मन का यह मोर है
नाता एक डोर है
खट्टी मीठी यह आस है
जीवन की प्यास है
छलकी छलकी
बहकी बहकी
महकी महकी अरदास है
नाता एक डोर है
तेरा मेरा छोर है!
हर रंग का अहसास है
तुझमें मेरा वास है
सबकी तू आस है
दुनिया का विश्वास है!
नाता एक डोर है।
सुबह ओ शाम है
पल पल तेरा नाम है
यही बस एक काम है
तुझसे मेरा नाम है
नाता एक डोर है
जीवन की भोर है!