सोनिया गांधी के मायने

सोनिया गांधी के जन्मदिन पर विशेष –

सोनिया गांधी के मायने

जगदीश्वर चतुर्वेदी

आज कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का जन्मदिन है। हमारी हार्दिक इच्छा है वे दीर्घायु तक जीवित रहें और देश की जनता नेतृत्व करें। आज के दिन उन पर संघियों ने जो हमले किए हैं। हम उनकी निंदा करते हैं।सवाल यह है संघी लोग औरतों पर हमले क्यों करते हैं ? उनका औरतों को आम बातचीत में खारिज या रद्द करना, उपेक्षा करना,फब्तियां कसना, ताने मारना,व्यंग्य करना आदि अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है ,बल्कि औरत की अस्मिता और स्वतंत्रता पर पुंसवादी हमला है ।
महिला नेत्रियों पर जितने निजी हमले हमारे समाज में होते हैं उन्हें देखकर यही कहना पड़ता है कि हमारे देश में अभी सभ्यता का विकास नहीं हुआ है ।

सभ्यता के बिना लोकतंत्र बर्बर होता है । हम जब तक स्त्री घृणा को खत्म नहीं करते तब तक औरतों पर हमले करते रहेंगे।
औरतों पर बढ़ रहे शारीरिक और वैचारिक हमले और स्त्री अपराधों की बढ़ती तादाद बताती है कि हमारा समाज औरत के प्रति घृणा और हिंसा में आकंठ डूबा हुआ है ।
औरतों के प्रति सामाजिक जीवन में घृणा खत्म कैसे हो,इस पर सभी राजनीतिक दलों को सोचना चाहिए। भारत में औरतें जब तक पुंसवादी घृणा की शिकार होती रहेंगी तब तक भारत को कोई लाभ नहीं पहुँचेगा ।

जब तक समाज में औरत के प्रति घृणा व्याप्त है ,देशवासियों के मन में देशप्रेम पैदा नहीं कर सकते । औरत हमारा देश है । जो औरत परिवार तक सीमित है उसमें लोक मंगल या सामाजिक परिवर्तन की चेतना कम होती है। इसी तरह प्रतिक्रियावादी राजनीति या साम्प्रदायिक राजनीति से जुड़ी औरतों में प्रतिगामी चेतना अधिक होती है।
लेकिन इनसे भिन्न सचेतन और प्रगतिशील राजनीतिक औरतों का एक बड़ा समुदाय तैयार हुआ है।वे सामाजिक परिवर्तन पसंद करती हैं। सोनिया गांधी उनका प्रतिनिधित्व करती है।
आरएसएस वैचारिक तौर पर स्त्री के बारे में प्रतिगामी नजरिए का प्रचार करता रहा है। प्रतिगामी विचारधारा के लोग भाजपा+मोदी के पक्के भक्त हैं ।सवाल यह है कि क्या आगामी लोकसभा चुनाव में हम पुंसवाद मुक्त भारत का सपना देख सकते हैं ?

भारत पुंसवाद मुक्त कैसे बने ,इस पर हर पार्टी को अपना स्वतंत्र रुप से घोषणापत्र जारी करना चाहिए। औरतों पर बढ़ रहे शारीरिक हमले और स्त्री अपराधों की बढ़ती तादाद बताती है कि हमारा समाज औरत के प्रति घृणा से भरा हुआ है ।
औरतों के प्रति सामाजिक जीवन में घृणा खत्म कैसे हो,इस पर सभी राजनीतिक दलों को अपना स्त्री-संबंधी नजरिया पेश करना चाहिए ।

भारत में औरतें जब तक पुंसवादी घृणा की शिकार होती रहेंगी तब तक कांग्रेस-भाजपा-माकपा-सपा-बसपा आदि सबके कामों से भारत को कोई लाभ नहीं पहुँचेगा । जब तक समाज में औरत के प्रति घृणा व्याप्त है ,देशवासियों के मन में देशप्रेम पैदा नहीं कर सकते । औरत हमारा देश है ।
औरतों को आम बातचीत में खारिज या रद्द करना, उपेक्षा करना,फब्तियां कसना, ताने मारना,व्यंग्य करना आदि अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है ,बल्कि औरत की अस्मिता और स्वतंत्रता पर पुंसवादी हमला है । क्या हमारे राजनीतिक दल अपने विपक्ष पर हमला करने के बहाने स्त्री राजनेत्रियों पर व्यक्तिगत हमले बंद करेंगे ?
सोनिया गांधी -ममता बनर्जी- प्रियंका गांधी आदि महिला नेत्रियों पर जितने निजी हमले हमारे समाज में सरेआम होते हैं उसे देखकर यही कहना पड़ता है कि हमारे देश में अभी सभ्यता का विकास नहीं हुआ है । सभ्यता के बिना लोकतंत्र बर्बर होता है । हम जब तक स्त्री घृणा को खत्म नहीं करते औरतों पर लोग सरेआम हमले करते रहेंगे।

स्त्री के सवालों पर न तो कांग्रेस बहस कर रही है और नहीं भाजपा ही बहस कर रही है । मोदी की हुंकार में स्त्री के सवाल गायब क्यों हैं ? राहुल गाँधी के सपने में औरत की क्या परिकल्पना है ? इन दोनों दलों का स्त्री के सवालों से भागना समूचे राजनीतिक परिदृश्य को पुंसवादी बनाने की कोशिश है ।

भारतीय राजनीति में स्त्री के सवालों को जब तक केन्द्रीय अहमियत नहीं मिलती तब तक राजनीति में बदलाव की बयार नहीं बहेगी । हम चाहते हैं कि सभी दलों के नेताओं से औरतों के ज्वलंत सवाल पूछे जाएं ।
औरत की खूबी है कि वैज्ञानिक विवेचना की बजाय आसपास के लोगों की बातों पर विशेष ध्यान देती है । वह पुस्तकों को सम्मान अवश्य देती है पर शब्दों का अर्थ समझे बिना पृष्ठ पलटती रहती है । इसलिए अनायास ही किसी अजनबी की बातों को सुनकर वह उसे विशेष महत्व देने लगती है । स्त्री की बुद्धिमत्ता प्रायः अप्रत्यक्ष रहती है।

सोनिया गांधी के जन्मदिन के बहाने हमें स्त्री के सम सामयिक सवालों पर बहस करनी चाहिए। उसके विकास और सामाजिक शिरकत को बढाने का प्रयत्न करना चाहिए।

लेखक – जगदीश्वर चतुर्वेदी

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