सच में कितने महान हैं ये लोग
मुनेश त्यागी
वे नंगे हैं
पर दूसरों के लिए कपड़े बुनते हैं,
उनके छत नहीं है
मगर दूसरों के मकान बनाते हैं।
वे भूखे हैं
पर औरों के लिए सारे अन्न उगाते हैं,
वे धनहीन है
पर मेहनत से लोगों को धनवान बनाते हैं।
वे संपत्ति विहीन है
पर दुनिया में संपत्तियों के अंबार लगाते हैं,
वे वस्त्र विहीन हैं
मगर सब लोगों के लिए कपड़े बनाते हैं।
वे अनपढ़ हैं
मगर दूसरों के लिए किताबें छापते हैं,
वे अशिक्षित हैं
मगर दूसरों के लिए स्कूल बनाते हैं।
वे मंदिर नहीं जा सकते
मगर दूसरों के लिए मंदिर बनाते हैं,
उनके पास घर नहीं हैं
पर दुनिया में शानदार मकान बनाते हैं।
वे धन दौलत पैदा करते हैं
मगर वे धन धान्य से पूरी तरह वंचित है,
वे अन्याय के शिकार हैं
मगर दूसरों के लिए न्यायालय बनाते हैं।
ये सब कुछ करते हैं
फिर भी अभावग्रस्त बने रहते हैं,
इसीलिए मार्क्स ने कहा था
दुनिया भर के मेहनतकशों एक हो।
सच में कितने महान हैं ये लोग!!

